नज़र में भरकर नज़र कुछ सिमट जाना, भूलना मत।
देखना होकर मगन फिर चौंक जाना, भूलना मत।

मौज़ खोकर ज़िन्दगी ग़र आ किनारों में फँसे
नाव अपनी खींचकर मझधार लाना, भूलना मत।

न पाया ढूढ़कर भी दर्द दिल ने बेखबर मेरे
उसे अपने सुरीले प्यार का किस्सा सुनाना, भूलना मत।

रोशनी गुम है, अँधेरा खुशनुमा है आसमाँ जानिब
चाँदनी या मुख़्तसर सी धूप लाना, भूलना मत।

मैं तो पत्थर था गला पिघला तुम्हारी चाह में आखिर
किसी बे-आब गुल से आइना अपना बचाना, भूलना मत।


एक और ग़ज़ल यहाँ है – सम्हलो कि चूक पहली इस बार हो न जाये (ग़ज़ल)

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Last Update: July 5, 2024