Audio, भोजपुरी, लोक साहित्य, शैलबाला शतक

शैलबाला शतक: भोजपुरी स्तुति काव्य (सात)

शैलबाला शतक नयनों के नीर से लिखी हुई पाती है। इसकी भाव भूमिका अनमिल है, अनगढ़ है, अप्रत्याशित है।करुणामयी जगत जननी के चरणों में प्रणत निवेदन हैं शैलबाला शतक के यह छन्द! शैलबाला-शतक के प्रारंभिक चौबीस छंद कवित्त शैली में…

Poetic Adaptation, Ramyantar, Translated Works

टू बॉडीज (Two Bodies) : ऑक्टॉवियो पाज़

प्रायः ऐसा होता है कि फेसबुक पर देखी पढ़ी गयी प्रविष्टियों पर कुछ कहने का मन हो तो उसके टिप्पणी स्थल की अपेक्षा ब्लॉग पर लिख देने की आदत बना ली है मैंने। यद्यपि ऐसा भी कम ही हो पाता…

Audio, भोजपुरी, लोक साहित्य, शैलबाला शतक

शैलबाला शतक: भोजपुरी स्तुति काव्य (छः)

शैलबाला शतक भगवती पराम्बा के चरणों में वाक् पुष्पोपहार है। यह स्वतः के प्रयास का प्रतिफलन हो ऐसा कहना अपराध ही होगा। उन्होंने अपना स्तवन सुनना चाहा और यह कार्य स्वतः सम्पादित करा लिया। यह उक्ति सार्थक लगी- “जेहि पर…

नाटक, सुदामा

बतावत आपन नाम सुदामा: तीन

इस प्रविष्टि में कृष्ण सुदामा का मिलन है, भाव की अजस्र धारा है। पिछली प्रविष्टियों  ’बतावत आपन नाम सुदामा – एक और दो से आगे। कृष्ण सुदामा का मिलन (प्रहरी राजमहल में प्रवेश करता है। प्रभु मखमली सेज पर शांत…

नाटक, सुदामा

बतावत आपन नाम सुदामा: दो

पिछली प्रविष्टि बतावत आपन नाम सुदामा: एक से आगे। इस प्रविष्टि में द्वारिकापुरी में सुदामा की उपस्थिति एवं सखा कृष्ण का औत्सुक्य, फिर मिलन-संदेश के उपक्रम में संवादों की प्रभावान्विता दर्शनीय है। दृश्य द्वितीय: द्वारिकापुरी में सुदामा (द्वारिकापुरी का दृश्य।…

Audio, भोजपुरी, लोक साहित्य

सरस भजन: कब सुधिया लेइहैं मन के मीत

कब सुधिया लेइहैं मन के मीत: प्रेम नारायण पंकिल कब सुधिया लेइहैं मन के मीत, साँवरिया काँधा। कहिया अब बजइहैं बँसुरी, दिनवा गिनत घिसलीं अँगुरीकेतना सवनवाँ गइलैं बीत, साँवरिया काँधा॥१॥ कहिया घूमि खोरी-खोरी, करिहैं कृष्ण माखन चोरीहँसि के लेइहैं सबके…

नाटक, सुदामा

बतावत आपन नाम सुदामा: एक

दृश्य प्रथम: सुदामा की कुटिया (सुदामा की जीर्ण-शीर्ण कुटिया। सर्वत्र दरिद्रता का अखण्ड साम्राज्य। भग्न शयन शैय्या। बिखरे भाण्ड, मलिन वस्त्रोपवस्त्रम। एक कोने विष्णु का देवविग्रह। कुश का आसन। धरती पर समर्पित अक्षत-फूल। तुरन्त देवार्चन से उठे सुदामा भजन गुनगुना…

Poetic Adaptation, Ramyantar, Translated Works, सौन्दर्य-लहरी

सौन्दर्य लहरी (छन्द संख्या 56-60)

सौन्दर्य लहरी का हिन्दी काव्य रूपांतर दृशा द्राघीयस्या दरदलितनीलोत्पलरुचादवीयांसं दीनं स्नपय कृपया मामपि शिवेअनेनायं धन्यो भवति न च ते  हानिरियतावने वा हर्म्ये वा समकर निपातो हिमकरः ॥५६॥दूरदृष्टि मनोहरा तवनील कंजदलाभिरामासींच दे मुझ दीन को भी सदय निज करुणा सलिल सेअहहः…

Poetic Adaptation, Ramyantar, Translated Works, सौन्दर्य-लहरी

सौन्दर्य लहरी (छन्द संख्या 51-55)

सौन्दर्य लहरी का हिन्दी काव्यानुवाद   गते कर्णाभ्यर्णं गरुत एव पक्ष्माणि दधतीपुरां भेत्तुश्चित्तप्रशमरसविद्रावणफले इमे नेत्रे गोत्राधरपतिकुलोत्तंस कलिकेतवाकर्णाकृष्ट स्मरशरविलासं कलयतः ॥५१॥जो कर्णान्तदीर्घ विशाल तेरे युगल दृग अभिरामपलक सायकयुक्तउनको खींच कर अपने श्रवण तकमन्मथ किया करता बाण का संधान तीव्र अचूक सपदि जिससे…