Article | आलेख, Translated Articles

आधुनिक मनुष्य कौन? (आलेख)

Aadhunik Manushya Kaun

आधुनिक मनुष्य कौन?: डॉ० कार्ल गुस्ताव युंग जिसे हम आधुनिक मनुष्य कहते हैं, जो तात्कालिक वर्तमान के प्रति सचेतन है, वह किसी भी सूरत में औसत आदमी तो नहीं ही है। आधुनिक मनुष्य वही है, जो चोटी पर खड़ा है,…

भोजपुरी, लोक साहित्य, शैलबाला शतक

शैलबाला शतक: भोजपुरी स्तुति काव्य (आठ)

शैलबाला शतक: भोजपुरी स्तुति काव्य: 37-48  पूत भयों अस लोलक लइया सबै पुरुखा की बड़ाई बहाई माई की ड्यौढ़ी पै दारू सजावत सावन के अन्हरे अस धाई भारी गरूर न एको सहूर सदा घिघियात फिरै मुँह बाई माई न आँख…

Poetic Adaptation, Ramyantar, Translated Works, सौन्दर्य-लहरी

सौन्दर्य लहरी (छन्द संख्या 71-75)

सौन्दर्य लहरी का हिन्दी काव्यानुवाद समं देवि स्कन्दद्विपवदनपीतं स्तनयुगं तवेदं नः खेदं हरतु सततं प्रस्नुतमुखम्।यदालोक्याशंकाकुलितहृदयो हासजनकःस्वकुम्भौ हेरम्बः परिमृशति हस्तेन झटिति॥71॥ संग हीयुग तनयषडमुख गजवदनपय स्रवित तेरे कुच युगल का पान करतेजान जिनको भाल ही निजगणाधिप शंकितस्वशिर परफेर अपना शुण्डतुमको हैं बना…

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मैं चिट्ठाकार हूँ, पर गिरिजेश राव जैसा तो नहीं

मैं चिट्ठाकार हूँ, पर गिरिजेश राव जैसा तो नहीं जो बने तो निपट आलसी पर रचे तो जीवन-स्फूर्ति का अनोखा  व्याकरण- बाउ। संस्कारशील गिरिजेश राव कहूँ?- शृंखलासापेक्ष, पर्याप्त अर्थसबल, नितान्त आकस्मिकता में भी पर्याप्त नियंत्रित। जो प्रकृति का शृंगार है-…

Article | आलेख, General Articles

माँ की गोद ही चैत्र नवरात्रि है ..

एक ज्योति सौं जरैं प्रकासैं कोटि दिया लख बाती। जिनके हिया नेह बिनु सूखे तिनकी सुलगैं छाती। बुद्धि को सुअना मरमु न जानै कथै प्रीति की मैना। दिपै दूधिया ज्योति प्रकासैं घर देहरी अँगन। नवेली बारि धरैं दियना॥ —(आत्म प्रकाश…

Poetic Adaptation, Ramyantar, Translated Works, सौन्दर्य-लहरी

सौन्दर्य लहरी (छन्द संख्या 66-70)

सौन्दर्य लहरी का हिन्दी काव्यानुवाद कराग्रेण स्पृष्टं तुहिनगिरिणा वत्सलतयागिरीशेनोदस्तं मुहुरधरपानाकुलतया करग्राह्यं शंभोर्मुखमुकुरवृन्तं गिरिसुते कथंकारं ब्रूमस्तव चुबुकमौपम्यरहितम्॥66॥ पाणि सेवात्सल्यवशजिसको दुलारा हिमशिखर नेअधरपानाकुलितजिसकोकिया स्पर्शित चन्द्रधर नेमुख मुकुर के वृन्त समपकड़ा जिसे सविलास शिव नेकौन वर्णन कर सकेगाउस अमोलकचिबुक का फिरसत्य ही हैं ललित अनुपमचिबुक…

Gitanjali by Tagore, Ramyantar, Tagore's Poetry, Translated Works

जाग जाये यह मेरा देश (गीतांजलि का भावानुवाद)

यह देश अपूर्व, अद्भुत क्षमताओं का आगार है। यहाँ जो है, कहीं नहीं है, किन्तु यहाँ जो होता दिख रहा है वह भी कहीं नहीं है। इस देश की अनिर्वच प्रज्ञा और अद्वितीय पौरुष को विस्मरण ने आकंठ आवृत कर…

Literary Classics, Poetry, Ramyantar, Translated Works

सुबह की प्रार्थना : निस्सीम ईजीकेल

जितना मेरा अध्ययन है उसमें भारतीय अंग्रेजी लेखकों में निस्सीम ईजीकेल का लेखन मुझे अत्यधिक प्रिय है। ईजीकेल स्वातंत्र्योत्तर भारतीय अंग्रेजी कविता के पिता के रूप में प्रतिष्ठित हैं। आधुनिक भारतीय अंग्रेजी काव्य में विशिष्ट स्थान प्राप्त ईजीकेल सहज कविता,…

Poetic Adaptation, Ramyantar, Translated Works, सौन्दर्य-लहरी

सौन्दर्य लहरी (छन्द संख्या 61-65)

सौन्दर्य लहरी का हिन्दी काव्यानुवाद प्रकृत्या‌‌ऽऽरक्तायास्तव सुदति दंतच्छदरुचेःप्रवक्ष्ये सादृश्यं जनयतु फलं विद्रुमलतान बिबं तद्बिबं प्रतिफलन रागादरुणितंतुलामध्यारोढुं कथमिव विलज्जते कलया ॥६१॥सुभग स्वाभाविक अरुणिमाधरतुम्हारे अधर पल्लवकौन ऐसा है तुलित होजो अधर की अरुणिमा सेफल जनन से हीनसमता है कहाँ विद्रुमलता कीरंचमात्र कला…