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बुद्ध

नाटक, बुद्ध

करुणावतार बुद्ध: दस

गौतम बुद्ध

करुणावतार बुद्ध- 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 के बाद प्रस्तुत है दसवीं कड़ी। करुणावतार बुद्ध (अगम्य-गम्य गिरि प्रान्तरों, कंदर खोहों तथा घोर विपिन में घूमते फिरते सिद्धार्थ के साथ लगी विद्वत मण्डली ने साथ छोड़ दिया।…

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करुणावतार बुद्ध: नौ

करुणावतार बुद्ध- 1, 2, 3, 4, 5,6,7, 8 के बाद प्रस्तुत है नौवीं कड़ी… करुणावतार बुद्ध (ब्राह्मण उन्हें नहीं छोड़ते, घेर लेते हैं। सिद्धार्थ आगत चेष्टा स्फूर्त उठ जाते हैं।) सिद्धार्थ: क्या भवितव्य है? ये वैदिक विशद अनुष्ठान, यह कुटिल…

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करुणावतार बुद्ध: आठ

करुणावतार बुद्ध- 1, 2, 3, 4, 5 ,6, 7 के बाद प्रस्तुत है आठवीं कड़ी… ब्राह्मण: इतनी विकलता क्यों वैरागी? परास्त पौरुष और आत्मघाती अधैर्य के वशीभूत क्यों हो गये? तुम्हारा मन तो जैसे नदी के दूसरी ओर के अँधियार…

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करुणावतार बुद्ध: सात

करुणावतार बुद्ध- 1, 2, 3, 4, 5 ,6 के बाद प्रस्तुत है सातवीं कड़ी- पंचम दृश्य (राजकुमार सिद्धार्थ गहन निराशा और विषाद के बोझ में दबे मंथर गति बढ़े जा रहे हैं। स्थान अज्ञात, दिशा अज्ञात और लक्ष्य अप्राप्त है। अभी…

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करुणावतार बुद्ध: छ:

करुणावतार बुद्ध- 1, 2, 3, 4, 5 के बाद प्रस्तुत है छठीं कड़ी- करुणावतार बुद्ध सिद्धार्थ: यह कौन-सा अतलान्त स्पर्श मेरे मन-प्राणों को छूकर चला गया है! यह कैसा मृदुल स्पर्श मेरे सिर को शीतलता प्रदान कर रहा है!  यह…

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करुणावतार बुद्ध: पाँच

करुणावतार बुद्ध- 1, 2, 3, 4 के बाद प्रस्तुत है पाँचवीं कड़ी- (चतुर्थ दृश्य ) (सिद्धार्थ तीव्र गति से चले जा रहे हैं  गहन रात्रि है। सहसा आकाश में बादल उमड़ आते हैं, और रिमझिम बूँदाबादी होने लगती है। वे…

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करुणावतार बुद्ध: चार

पिछली प्रविष्टियों करुणावतार बुद्ध- एक, दो, तीन के बाद चौथी कड़ी- तृतीय दृश्य (यशोधरा का शयनकक्ष। रात्रि का प्रवेश काल ही है। राहुल लगभग सो ही गया है। सिर झुकाये राजकुमार सिद्धार्थ समीप में स्थित हैं।) यशोधरा:  प्राण वल्लभ! आज…

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करुणावतार बुद्ध: तीन

करुणावतार बुद्ध सारथी:  भूपाल! नगरी तो ऐसी सजी-सँवरी थी, जैसे अमरावती ही वहाँ उतर आयी हो। सुन्दरियाँ नृत्य-गीत में रत थीं। चंदन की सुगंध से गलियाँ महक रहीं थीं। फूलों की वृष्टि हो रही थी। कौन-सा सुख नहीं बरस रहा…

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करुणावतार बुद्ध: दो

करुणावतार बुद्ध: (द्वितीय दृश्य ) (सारथी प्रवेश करता है । प्रणाम की मुद्रा में सिर झुकाकर राजा की आज्ञा माँगता है ।) राजा:  सारथी ! मेरे लाडले की नगर दर्शन की अभिलाषा तृप्त हो गयी? सारथी:  हे प्रजावत्सल! आज तक…

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करुणावतार बुद्ध: एक (नाट्य)

करुणावतार बुद्ध (प्रथम दृश्य ) (प्रातःकाल की बेला। महल में राजा और रानी चिन्तित मुद्रा में।)   शुद्धोधन:  सौभाग्यवती! कल अरुणोदय की बेला थी। अभी अलसाई आखों से नींद विदा हुई नहीं थी। मैं अपलक निहार रहा था भरी-पूरी देहयष्टि…