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प्रसंगवश

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डायोजिनीज़ (Diogenes) का एक प्रेरक प्रसंग

Greek Philosopher Diogenes

डायोजिनीज़ (Diogenes) के जीवन से जुड़ा यह प्रेरक प्रसंग शान्तचित्त रहने के अभ्यास को रेखांकित करता है। मनुष्य का स्वभाव है, प्रत्येक परिस्थिति एवं कार्य के प्रति अपनी धारणा बनाना। अभाव में भी स्वभाव न छूटता है। विपन्नता में भी…

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ग्रीष्म गरिमा: कवि सत्यनारायण- दो

ग्रीष्म शृंखला में ब्रजभाषा से निकली यह ग्रीष्म गरिमा  आपके सम्मुख है, कवि हैं अल्पज्ञात कवि सत्यनारायण। पहली कड़ी के बाद आज दूसरी कड़ी- ग्रीष्म-गरिमा जबै अटकत आपस में बंस, द्रोह दावानल पटकत आय । खटकि चटकत करिवे निज ध्वंस,…

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ग्रीष्म गरिमा: कवि सत्यनारायण- एक

गर्मी की बरजोरी ने बहुतों का मन थोर कर दिया है, मेरा भी। वसंत का मगन मन अगन-तपन में सिहुर-सा गया है। कोकिल कूकने से ठहरी, भौरा गुंजरित होने से, फिर अपनी क्या मजाल कि इस बउराती लूह के सामने…

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वैवाहिक सप्तपदी: वर वचन

वैवाहिक सप्तपदी: वर वचन हौं गृह-ग्राम रहौं जब लौं तब लौं ही तू साज सिंगार सजौगी।भाँतिन-भाँति के हास-विलास कुतूहल क्रीड़ा में राग रचौगी।पै न रहूँ घर तो न अभूषण पेन्होगी तूँ परधाम रहोगी।प्रानप्रिये ये करो प्रन तूँ हमरी पहली बतिया…

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वैवाहिक सप्तपदी: कन्या वचन

वैवाहिक सप्तपदी: कन्या-वचन देवनि देवि अनेकन पूजि कियो जग जीवन पुण्य घना। निज अर्चन वंदन पुण्य-प्रताप ते पायौ तुम्हें अब हौं सजना। तुम सौम्य सदा रहना जो गृहस्थ को जीवन हौ दुख-सुक्ख सना। तब बाम तुम्हारे बिराजुंगी मैं, सजना हमरी…