ठीक ठीक ब्लॉग लिखना शुरू करने के पहले मेरे एक ब्लॉगर मित्र ने मुझे कुछ उलाहने दिए। रघुवीर सहाय की कविता ‘बदलो’ की पंक्तियों को उद्धृत कर सारांश दे रहा हूँ-
“उसने पहले मेरा हाल पूछा
एकाएक विषय बदलकर कहा
आजकल का समाज देखते हुए
मैं चाहता हूँ कि तुम बदलो।
फिर कहा कि अभी तक तुम अयोग्य
साबित हुए हो
इसलिए बदलो,
फिर कहा पहले तुम अपने को बदल कर दिखाओ
तब मैं तुमसे बात करूँगा।”
मैंने मित्र की बात सुनी थी। शायद ब्लॉगर बनने की प्रेरणा में उसका भी हाथ हो।
सद्प्रेरणा कहीं से भी आये , संकलन में दर्ज हो जाती है ..