यूँ तो सीधी सीधी निंदक वंदना नहीं की, पर ‘निंदक नियरे राखिये’ की लुकाठी लेकर कबीर ने…
आज की लेखनी (या उसे चिट्ठाकारी कहिये) का गुण है कि वह पठनीय हो कि जटिलताओं के…
बिना किसी बौद्धिक शास्त्रार्थ के प्रयोजन से लिखता हूँ अतः ‘हारे को हरिनाम’ की तरह हवा में…
इस नज़ाकत का बुरा हो, वो भले हैं तो क्या।हाथ आयें तो उन्हें हाथ लगाये न बने॥…
मैं रवीश कुमार के कस्बे (क़स्बा- रवीश कुमार का ब्लॉग) का ज़िक्र करना चाहता हूँ। यह कस्बा…