इस नज़ाकत का बुरा हो, वो भले हैं तो क्या।
हाथ आयें तो उन्हें हाथ लगाये न बने॥

कुन्नू सिंह तकनीकी रूप से सिद्धहस्त हैं तो भी क्या? अपनी नयी निराली प्रविष्टियों के लिए बहुप्रशंसित हैं तो भी क्या? चिट्ठों की पहेलियों को खुल्लमखुल्ला करने का हुनर रखते हैं तो भी क्या? समस्याएँ बनाना, समस्याएं सुझाना और समस्याएँ हल करना- सब आता है तो भी क्या? पर मैं कुन्नू सिंह के ‘कुन्नू ब्लॉग‘ से अपना ताल्लुक नहीं बना पाता।

अभीं नया-नया ब्लागर हूँ। बहुत कुछ जानने, समझने की जिद है; ललक भी। ‘ब्लागवाणी‘ पर टहलते हुए ‘कुन्नू ब्लॉग’ के शीर्षकों पर नजर पडी थी। पर इस ब्लॉग का जायका पहली बार ‘हिन्दी ब्लॉग टिप्स‘ में इसके जिक्र से लिया। उत्सुकतावश इनके ब्लॉग की ओर कदम बढ़ाए – फिर ठिठक कर रह गया।

कुन्नू सिंह ब्लॉग की भाषा और मेरी बेचैनी

हिन्दी पट्टी का ब्लागर हूँ। हिन्दी से छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं होती। बहुत से हिन्दी भाषाविदों की अतृप्त आत्माएं मुझ क्षुद्रात्मा में तफरीह करती रहती हैं। ‘कुन्नू ब्लॉग’ की उपस्थिति से बेचैनी होती है। मैं नहीं जानता कुन्नू जी की भाषा का यह स्वरुप प्रायोजित है अथवा स्वाभाविक- (उदाहरण देखें)-

१-मेरा hindimaja.com हैक हूवा है। पर ईसमे कीसी और का कोई नूकशान नही होगा क्यो की दो मीनट मे सब ठीक कर दूंगाऔर अभी आप http://www.hindimaja.com/ पर जा के देख सकते हैं। ठीक कर लीया हूं।आषीस जी को ध्नयवाद उनहोने मूझे बताया की मेरा साईट हैक हो गया है। पर ईसमे मेरी गलती है फ्री मे साईट देने वाले की नही।और जीनहोने मेरे ईस साईट का लींक दिया है उनको कोई परेसानी नही होगी।

क्यो की hindimaja।com हैक हूवा है। /toplinks नही। और सीर्फ index ही हैक हूवा है।

२-क्या कंप्यूटर की गती तेज की जा सकती है?

अगर सही मे गती बढानी है तो यह आसान तरीका जीससे कोई नूकशान नही।

1. कोई फील्म हो जीसे आप देखते भी नही उसे डीलीट कर दें , गाने जो बेकर के पडे हों उनहे भी डीलीट कर दें।…………………………आदि, आदि ।

मेरा अपना भाषा-भावित हृदय ‘उत्तर प्रदेश’ लोकेशन वाले इस दक्ष ब्लागर से कत्तई इत्तेफाक नहीं रखना चाहता (भाषा-शब्द प्रयोग को लेकर)।

हिन्दी ब्लॉगिंग में इस ब्लॉग की स्वीकृति क्यों

मैं हैरान हूँ, हिन्दी ब्लागरों के मध्य इनकी स्वीकृति से। क्या कुल मिलाकर किसी साईट को हैक करने की तकनीक सिखा देना, कुछ उपयोगी टिप्स बता देना, फ्री के ब्लॉग टेम्पलेट्स डाउनलोड करने की सुविधा देना आदि ही इनकी हिन्दी ब्लागरों के मध्य उपस्थिति के कारण हैं? हिन्दी के ब्लागरों को क्या हिन्दी के प्रयोग या उपयोग का ख्याल नहीं? क्या तकनीकी जानकारी के लिए हिन्दी का अवांछित प्रयोग आपत्तिजनक नहीं? हो सकता है, इस पर विचार हो चुका हो, पर हिन्दी भाषा में तकनीकी जानकारी प्रदान करने के नाम पर हिन्दी से ऐसी छेड़छाड़ और हिन्दी ब्लागरों का चुपचाप बैठ जाना- आश्चर्यजनक है।

मैं ‘प्रथम‘ का फालोअर (follower) हूँ, आशीष जी की ‘हिन्दी ब्लॉग टिप्स‘ को अपने ई-मेल खाते में पढ़ता हूँ- क्या इनमें तकनीकी जानकारी एवं नवीनतम ब्लॉग-युक्तियों का अभाव है? नहीं। पर ये अपनी भाषा का तनाव कभी ढीला नहीं करते और न ही शब्दों, वर्तनियों से अपने को निस्पृह रखते हैं।

हाँ, कुन्नू जी की अन्वेषणात्मक प्रतिभा का मैं कायल हूँ। बहुत कुछ ऐसा है जो केवल कुन्नू जी के ब्लॉग पर ही मिल सकता है। कुन्नू जी के लिए इतना तो मैं कह ही सकता हूँ-

शर्त सलीका है हर एक अभ्र में
ऐब भी करने को हुनर चाहिए॥

मीर