चाहता था न रोऊँ – पर हार कर अब, शोक..
अगर कभी ऐसा हो कि कहीं मिल जाओ तुम तो पूछने मत लगना वही अबूझे, अव्यक्त प्रश्न…
मधुशाला व बच्चन पर फतवे की आंच अभी धीमी नहीं पड़ी होगी। हरिवंश राय बच्चन होते तो…
सच में ‘मैना’ ही नाम था उसका। मेरे पास अब केवल यादें शेष रह गयी हैं उसकी।…
हिन्दी ब्लॉग लेखन के कई अंतर्विरोधों में एक है सोद्देश्य, अर्थयुक्त एवं सार्वजनीन बन जाने की योग्यता…
मुझमें जो आनंद विरल है वह तुमसे ही निःसृत था और तुम्हीं में जाकर खोया । घूमा…