मुझमें जो आनंद विरल है
वह तुमसे ही निःसृत था और तुम्हीं में जाकर खोया ।
घूमा करता हूँ हर पल, जीवन में प्रेम लिए निश्छल
कुछ रीता है, कुछ बीता है, झूठा है यह संसार सकल
यह चिंतन जो बहुत विकल है
वह तुझसे ही उलझा था और तुम्हीं से जाकर रोया ।
सच कहता हूँ वृक्ष बनेंगे मेरे अतल प्रेम के बीज
सच कहता हूँ आयेंगे इस छाया में हर प्रेमी रीझ
मेरा यह जो बीज सबल है
वह तुमसे ही पाया था और तुम्हीं में जाकर बोया ।
जो आंसू थे, हास बनेंगे और मगन हम नाचेंगे
और ढालेंगे सभी स्वप्न सच्चाई के सुधि सांचे में
जो मेरा यह विश्वास प्रबल है
वह तुझसे ही उपजा था औ’ तुझमें ही जाकर संजोया।
Photo: Facebook Wall of Pawan Kumar
aanand hee aanand rahe aapke jeevan me. narayan narayan
सुंदर!
मैं आपको हमेशा टिप्पणी नहीं दे पता क्योंकि और भी काम करते हुए ब्लॉग पढता रहता हूँ यानी आँखें आपको पढ़ रही होती हैं और हाथ खाना मुंह में डाल रहे होते हैं या कुछ और कर रहे होते हैं.
पर आप को पढ़ कर जो सुख मिलता है, मुझे यह हमेशा ही यह अहसास दिलाता है कि आपका फैन होकर कोई गलती नहीं की है.
आप की ये KAVITA तो गज़ब की है. :0
मेरी टिप्पणी हमेशा आपके लिए शायद न हो, कभी किसी टिप्पणीकार की कमी शायद आपको महसूस हो पर पाठक तो मैं हमेशा का हूँ. 🙂
अच्छा लिखा आपने …….