अगर कभी ऐसा हो
कि कहीं मिल जाओ तुम
तो पूछने मत लगना
वही अबूझे, अव्यक्त प्रश्न
अपने नेत्रों से
क्योंकि मेरी चुप्पी
फ़िर तोड़ देगी,
व्यथित कर देगी तुम्हें
और तब मैं भी
खंड-खंड हो जाऊंगा
अपने उत्तरों को समेटते-समेटते।

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Last Update: June 19, 2021