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January 2010

Ramyantar

स्वलक्षण-शील

’महाजनो येन गतः..’ वाला मार्ग भरी भीड़ वाला मार्ग है नहीं रुचता मुझे, जानता हूँ  यह रीति-लीक-पिटवइयों की निगाह में  निषिद्ध है, अशुद्ध है । चिन्ता क्या !  मेरी इस रुचि में (या अरुचि में) बाह्य और आभ्यन्तर, प्रेरणा और…

Article | आलेख, Essays, आलेख

आया है प्रिय ऋतुराज …

“वसंत एक दूत है विराम जानता नहीं, संदेश प्राण के सुना गया किसे पता नहीं । पिकी पुकारती रही पुकारते धरा गगन, मगर कभी रुके नहीं वसंत के चपल चरण ।” वसंत प्रकृति का एक अनोखा उपहार है । आधी…

Poetic Adaptation, Ramyantar, Translated Works, सौन्दर्य-लहरी

सौन्दर्य लहरी (छन्द संख्या 4-6)

सौन्दर्य लहरी का हिन्दी भाव रूपांतर त्वदन्यः पाणिभ्यामभयवरदो दैवतगणःत्वमेका नैवासि प्रकटित वराभीत्यभिनया,भयात् त्रातुं दातुं फलमपि च वांछासमधिकंशरण्ये लोकानां तव हि चरणावेव निपुणौ ॥4॥ प्रकट नहीं करती हो देवी, दिया हुआ वरदान अभयअन्य देवता पर हाथों से देने का करते अभिनय…

Contemplation, चिंतन

शिशिर बाला

साढ़े छः बजे हैं अभी। नींद खुल गयी है पूरी तरह। पास की बन्द खिड़की की दरारों से गुजरी हवा सिहरा रही है मुझे। ओढ़ना-बिछौना छोड़ चादर ले बाहर निकलता हूँ। देखता हूँ आकाश किसी बालिका के स्मित मधुर हास…

Ramyantar

तरुणाई क्या फिर आनी है ..

तरुणाई क्या फिर आनी है ! चलो, आओ ! झूम गाओ प्रीति के सौरभ भरे स्वर गुनगुनाओ हट गया है शिशिर का परिधान वसंत के उषाकाल में पुलकित अंग-अंग संयुत झूमती हैं टहनियाँ रसाल की और नाचता है निर्झर गिरि…

नाटक, बुद्ध

करुणावतार बुद्ध: नौ

करुणावतार बुद्ध- 1, 2, 3, 4, 5,6,7, 8 के बाद प्रस्तुत है नौवीं कड़ी… करुणावतार बुद्ध (ब्राह्मण उन्हें नहीं छोड़ते, घेर लेते हैं। सिद्धार्थ आगत चेष्टा स्फूर्त उठ जाते हैं।) सिद्धार्थ: क्या भवितव्य है? ये वैदिक विशद अनुष्ठान, यह कुटिल…