Monthly Archives

March 2010

Ramyantar

सेजिया से सइयाँ… (चैती ) और उस्तादों की जुगलबंदी में चैती-धुन

यूँ ही टहलते हुए नेट पर यहाँ पहुँच गया, शहनाई उस्ताद बिस्मिल्लाह खान और सितार के धुरंधर विलायत खान की जुगलबंदी में चैती धुन सुन कर अघा गया । आपके सामने ले आया हूँ ! सुनिये, रस पगिये । अभी…

Ramyantar

कह दिया मैंने ..

मेरी अपनी एक ज़िद है रहने की, कहने की  और उस ज़िद का एक फलसफ़ा । यूँ तो दर्पण टूट ही जाता है पर आकृति तो नहीं टूटती न ! उसने मेज पर बैठी मक्खी को मार डाला कलम की…

Audio, Ramyantar

हाय दइया करीं का उपाय…

चारु और मैं इधर संवाद-स्वाद, फिर अवसाद के कुछ क्षणों से गुजरते हुए चारुहासिनी की मनुहार से बाबूजी के लिखे कई गीत यूँ ही गुनगुनाता रहा। अपनी सहेलियों को बाबूजी के लिखे गीतों को गा-गाकर सुनाना और फिर अपनी इस…

Literary Classics, Ramyantar

माँ भी कुछ नहीं जानती

“बतलाओ माँ, बालमणि अम्मा मलयालम कविता की शीर्ष कवयित्री । प्रख्यात भारतीय अंग्रेजी साहित्यकार ’कमला दास’ की माँ । जन्म : १९ जुलाई १९०९, मृत्यु : २९ सितम्बर २००४ ’सरस्वती सम्मान’ सहित अनेक सम्मान/पुरस्कारों से सम्मानित । कवितायें दार्शनिक विचारों…

Ramyantar

तब ’नारी’ हो जाउँगी..

मुक्ति पर इतना विवाद,  खुलेपन पर इतना हंगामा क्यों ?  युग बीते, पर क्या तुम्हारी लोभ से ललचायी आँखों से  पूर्व-राग का नशा नहीं उतरा ?  शाश्वत कुंठा या कायरता हो गयी न अभिव्यक्त ! संस्कार दुबक गया शिक्षा का,…

नाटक, बुद्ध

करुणावतार बुद्ध: दस

करुणावतार बुद्ध- 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 के बाद प्रस्तुत है दसवीं कड़ी। करुणावतार बुद्ध (अगम्य-गम्य गिरि प्रान्तरों, कंदर खोहों तथा घोर विपिन में घूमते फिरते सिद्धार्थ के साथ लगी विद्वत मण्डली ने साथ छोड़ दिया।…