Monthly Archives

March 2012

Poetic Adaptation, Ramyantar, Translated Works, सौन्दर्य-लहरी

सौन्दर्य लहरी (छन्द संख्या 32-35)

सौन्दर्य लहरी (छन्द संख्या 28-31)

सौन्दर्य लहरी का हिन्दी काव्यानुवाद स्मरं योनिं लक्ष्मीं त्रितयमिदमादौ तव मनो र्निधायैके नित्ये निरवधि महाभोग रसिकाः । भजंति त्वां चिंतामणि गुणनिबद्धाक्ष वलयाः शिवाग्नौ जुह्वंतः सुरभिघृत धाराहुति शतैं ॥३२॥ उक्त वर्णित मंत्रउसके तीन वर्ण प्रथम पृथक कर ’काम-योनि-श्री’ त्रयी को आदि में योजित…

Poetic Adaptation, Ramyantar, Translated Works, सौन्दर्य-लहरी

सौन्दर्य लहरी (छन्द संख्या 28-31)

सौन्दर्य लहरी का हिन्दी काव्यानुवाद सुधामप्यास्वाद्य प्रतिभय जरा मृत्यु हरिणीं  विपद्यंते विश्वे विधि शतमखाद्या दिविषदः। करालं यत् क्ष्वेलं कबलितवतः कालकलना न शंभोस्तन्मूलं  तव जननि ताटंक महिमा ॥२८॥ पीयूष का भी पान करजो जरा मृत्यु भयापहारीविधि सुराधिप देवगण भीत्याग करते प्राण…

Poetic Adaptation, Ramyantar, Translated Works, सौन्दर्य-लहरी

सौन्दर्य लहरी (छन्द संख्या 24-27)

सौन्दर्य लहरी का हिन्दी रूपांतर जगत्सूते धाता हरिरवति रुद्रः क्षपयतेतिरस्कुर्वन् एतत् स्वयमपि वपुरीशस्तिरयति ।सदा पूर्वः सर्वं तदिदमनुगृह्णाति च शिवस्तवाज्ञामालंब्य क्षणचलितयोः भ्रूलतिकयोः ॥२४॥ निमिष भर कीचलिततेरी नयन भ्रू का ले सहाराअखिल जगत प्रपंच कोहैं जन्म दे देते विधातापालते हैं विष्णु सक्षमरुद्र…

Article | आलेख

गहगह वसंत

वसंत का चरण न्यास हुआ है। गज़ब है। आया तो आ ही गया। “फूली सरसों ने दिया रंग। मधु लेकर आ पहुँचा अनंग। वधु वसुधा पुलकित अंग-अंग….”। मतवाली कोयल की कूक से भरा, सिन्धुबार, कुन्द और सहकार से सुशोभित, गर्वीले…