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सौन्दर्य लहरी का हिन्दी काव्यानुवाद कराग्रेण स्पृष्टं तुहिनगिरिणा वत्सलतयागिरीशेनोदस्तं मुहुरधरपानाकुलतया करग्राह्यं शंभोर्मुखमुकुरवृन्तं गिरिसुते कथंकारं ब्रूमस्तव चुबुकमौपम्यरहितम्॥66॥ पाणि सेवात्सल्यवशजिसको दुलारा…

यह देश अपूर्व, अद्भुत क्षमताओं का आगार है। यहाँ जो है, कहीं नहीं है, किन्तु यहाँ जो…

जितना मेरा अध्ययन है उसमें भारतीय अंग्रेजी लेखकों में निस्सीम ईजीकेल का लेखन मुझे अत्यधिक प्रिय है।…

सौन्दर्य लहरी का हिन्दी काव्यानुवाद प्रकृत्या‌‌ऽऽरक्तायास्तव सुदति दंतच्छदरुचेःप्रवक्ष्ये सादृश्यं जनयतु फलं विद्रुमलतान बिबं तद्बिबं प्रतिफलन रागादरुणितंतुलामध्यारोढुं कथमिव…