जितना मेरा अध्ययन है उसमें भारतीय अंग्रेजी लेखकों में निस्सीम ईजीकेल का लेखन मुझे अत्यधिक प्रिय है। ईजीकेल स्वातंत्र्योत्तर भारतीय अंग्रेजी कविता के पिता के रूप में प्रतिष्ठित हैं। आधुनिक भारतीय अंग्रेजी काव्य में विशिष्ट स्थान प्राप्त ईजीकेल सहज कविता, सामान्य जन की कविता के कवि हैं। ईजीकेल कविता में विचार एवं भाषा की सरलता-सहजता के प्रति प्रतिबद्ध हैं। प्रभाव उतना ही मारक। कवि की एक कविता ’कवि, प्रेमी और पक्षी विशेषज्ञ’ (Poet, Lover, Birdwatcher) सम्बन्धित एक आलेख पूर्व में इस ब्लॉग पर प्रकाशित हो चुका है, यद्यपि इस विशिष्ट कविता का हिन्दी भावानुवाद अभी शेष है। इसी कवि की कुछ अन्य कवितायें हिन्दी रूपांतर के साथ क्रमशः यहां प्रस्तुत करने का विचार है। इन्हीं कविताओं में से प्रस्तुत है एक कविता सुबह की प्रार्थना (Morning Prayer) का हिन्दी रूपांतर।
ईश्वर! मुझमें वह रहस्य भरो
जो तिल-सा गोपन हो
और प्रदान करो अगम्यता
परन्तु केवल आत्मा की।
मेरे जागृत काल को पुनः प्रतिष्ठित करो
जीवंत वर्तमान में
और वापिस लौटा दो
मेरे प्रेम व पाप के स्वप्न
आदिम निष्क्रियता में।
ईश्वर! मुझमें वह निश्चय भरो
जिसमें अनुस्यूत हो
नभ, वायु, धरा, अग्नि, सिन्धु
एवं नूतनतम अन्तर-दृष्टि की
सगोत्रीय आत्मीयता।
वस्तुतः कुछ भी हो
गूढ़तम प्रश्न-सम
अथवा रक्त का
कैसा भी हो भावावेश
सँजोना मुझमें वह रूपाकृति
जिससे
परिवर्तित हो यह सब कुछ
मानव मंगल-हित।