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हम तोंहसे कुल बतिया कहली: भोजपुरी कविता

भोजपुरी कविता

हम तोंहसे कुल बतिया कहली सौ बार इहै मंठा महलीकुल गुर गोंइठा भइले पर तूँ दाँतै निपोर के का करबा?  समसै सिवान में खेत खेत के जोड़ रहल बा लगल डगर जइसे छरहरी पतुरिया के करिया कपार पर माँग सुघरभईया एक्कै…

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भोजपुरी गीत: हमरे आँखी कै लोरवा

भोजपुरी गीत : प्रेम नारायण पंकिल टपकि जइहैं हो हमरे आँखी कै लोरवा । जेहि दिन अँगना के तुलसी सुखइहैं सजनि कै हथवा न मथवा दबइहैं कवनो सुहागिन कै फुटिहैं सिन्होरवा–टपकि जइहैं हो हमरे आँखी कै लोरवा ॥१॥ जहिया बिछुड़ि जइहैं मितवन…

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शैलबाला शतक: भोजपुरी स्तुति काव्य (पाँच)

प्रस्तुत हैं शैलबाला शतक के चार और कवित्त! करुणामयी जगत जननी के चरणों में प्रणत निवेदन हैं यह चार कवित्त! शतक में शुरुआत के आठ कवित्त काली के रौद्र रूप का साक्षात दृश्य उपस्थित करते हैं।  पिछली चार प्रविष्टियाँ सम्मुख…

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शैलबाला शतक: भोजपुरी स्तुति काव्य (चार)

शैलबाला शतक: भोजपुरी स्तुति काव्य के चार और कवित्त प्रस्तुत हैं! करुणामयी जगत जननी के चरणों में प्रणत निवेदन हैं कवित्त! शतक में शुरुआत के आठ कवित्त काली के रौद्र रूप का साक्षात दृश्य उपस्थित करते हैं। पिछली तीन प्रविष्टियाँ…

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शैलबाला शतक: भोजपुरी स्तुति काव्य (तीन)

प्रस्तुत हैं शैलबला शतक: स्तुति काव्य के चार और कवित्त!  करुणामयी जगत जननी के चरणों में प्रणत निवेदन हैं यह कवित्त! शतक में शुरुआत के आठ कवित्त काली के रौद्र रूप का साक्षात दृश्य उपस्थित करते हैं।  पिछली दो प्रविष्टियाँ…

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शैलबाला शतक: भोजपुरी स्तुति काव्य (दो)

माँ के काली स्वरूप की अभ्यर्थना के चार कवित्त पुनः प्रस्तुत हैं। इस भोजपुरी स्तुति काव्य में शुरुआत के आठ कवित्त काली के रौद्र रूप का साक्षात दृश्य उपस्थित करते हैं।  रौद्र-रूपा काली के सम्मुख दीन-असहाय बालक पुकार रहा है।…

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शैलबाला शतक: भोजपुरी स्तुति काव्य (एक)

जीवन में ऐसे क्षण अपनी आवृत्ति करने में नहीं चूकते जब जीवन का केन्द्रापसारी बल केन्द्राभिगामी होने लगता है। मेरे बाबूजी की ज़िन्दगी की उसी बेला की उपज है शैलबाला शतक! अनेकों झंझावातों में उलझी हुई जीवन की गति को…

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अर्चना जी ने गाया : सखिया आवा उड़ि चलीं…

इसी ब्लॉग पर मेरी इस प्रविष्टि में मैंने और चारुहासिनी ने एक गीत ’सखिया आवा उडि़ चलीं ओही बनवा हो ना…’ गाया था! मेरे और चारुहासिनी द्वारा गाए युगल गीत को अर्चना चावजी ने अपनी आवाज दी है प्रस्तुत प्रविष्टि…

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रामजियावन दास बावला: भोजपुरी के तुलसीदास

रामजियावन दास बावला को पहली बार सुना था एक मंच पर गाते हुए! ठेठ भोजपुरी में रचा-पगा ठेठ व्यक्तित्व! सहजता तो जैसे निछावर हो गई थी इस सरल व्यक्तित्व पर! ’बावला’ भोजपुरी गीतों के शुद्ध देशज रूप के सिद्धहस्त गवैये…

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तेहिं तर ठाढ़ि हिरनियाँ : सोहर

अम्मा सोहर की पंक्तियाँ गुनगुना रही हैं – “छापक पेड़ छिउलिया कि पतवन गहवर हो…”। मन टहल रहा है अम्मा की स्वर-छाँह में। अनेकों बार अम्मा को गाते सुना है, कई बार अटका हूँ, भटका हूँ स्वर-वीथियों में। कितनों को…