मैं एक ब्लॉग टिप्पणी हूँ। अब टिप्पणी ही हूँ तो कितना कहूं। उतना ही न जितना प्रासंगिक…
साहित्य में शील हास्य का आलंबन माना जाता है। आतंकवाद की तत्कालीन घटना के बाद पता चला…
मैं समय की पहचान कर रहा हूँ। यह प्रयास विचित्र है। मुझे लगा समय समाज को अतिक्रमित…
सुशील त्रिपाठी को मैं उनकी लिखावट से जानता हूँ । एक बार बनारस में देखा था -पराड़कर…
क्या कहूँ की कविता ने लुभाया बहुत और लिखने की ताब भी पैदा की, पर लिखने की…