बड़ी घनी तिमिरावृत रजनी है। शिशिर की शीतलता ने इस अँधेरी रात को अतिरिक्त सौम्यता दी है।…
आज का मनुष्य यह भली भाँति समझता है कि उसकी सफलता के मूल में वह सद्धर्म (चाटुकारिता)…
प्रातः काल है। पलकें पसारे परिसर का झिलमिल आकाश और उसका विस्तार देख रहा हूँ। आकाश और…
आलोचना प्रत्यालोचना एक ऐसी विध्वंसक बयार है जो जल्दी टिकने नहीं देती। प्रायः संसार में इसके आदान…
आज की सुबह नए वर्ष के आने के ठीक पहले की सुबह है। मैं सोच रहा हूँ…
कल के अखबार पढ़े, आज के भी। पंक्तियाँ जो मन में कौंधती रहीं- “अब जंग टालने की…