अभी-अभी पूजा उपाध्याय जी के ब्लॉग से लौट रहा हूँ। एक कविता पढ़ी- माँ के लिए लिखी…
कहाँ भूल गया जीवन का राग, मेरे साथी सलोने । क्यों रूठ गया अपना यह भाग, मेरे…
प्रश्न स्वयं का उत्तर अपना औरों से पूछा, अपने मधु का स्वाद लुटेरे भौरों से पूछा। जाना…
क्या करिश्मा है इस बुझे दिल को, कितना खुशदिल बना दिया तुमने अब तो मुश्किल को भी…