कल मेरे पास के घर की वृद्धा माँ को वृद्धाश्रम (Old-age Home) भेंज दिया गया। याद आ…
आज की सुबह नए वर्ष के आने के ठीक पहले की सुबह है। मैं सोच रहा हूँ…
मैं लिख नहीं पा रहा हूँ कुछ दिनों से। ऐसा लगता है, एक विचित्रता भर गयी है…
न समझने की ये बातें हैं, न समझाने कीजिंदगी उचटी हुई नींद है दीवाने की। पढ़ कर…
मैं लिखने बैठता हूँ, यही सोचकर की मैं एक परम्परा का वाहक होकर लिख रहा हूँ। वह…
अपने बारे में कहने के लिए चलूँ तो यह पीपे का पुल मेरे जेहन में उतर आता…