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चिंतन

Contemplation, General Articles, Psychology, चिंतन

आओ करें, कुछ दीवानगी की बातें

“न समझने की ये बातें हैं, न समझाने की जिंदगी उचटी हुई नींद है दीवाने की। “ पढ़ कर कई बार सोचता रहा- “जिंदगी उचटी हुई नींद है दीवाने की। ” जिंदगी समझ में नहीं आयी, आती भी कैसे? जिंदगी…

Contemplation, Hindi Blogging, चिंतन

मेरा अकेलापन और रचना का सत्य-सूत्र

मैं लिखने बैठता हूँ, यही सोचकर की मैं एक परम्परा का वाहक होकर लिख रहा हूँ। वह परम्परा कृत्रिमता से दूर सर्जना का विशाल क्षितिज रचने की परम्परा है जिसमें लेखक अपनी अनुभूतियाँ, अपने मनोभाव बेझिझक, बिना किसी श्रम और…

Contemplation, चिंतन

पीपे का पुल

अपने बारे में कहने के लिए चलूँ तो यह पीपे का पुल मेरे जेहन में उतर आता है। गंगा बनारस में बड़ी चुहल करती हुई मालूम पड़ती हैं। गंगा लहरों की गति के साथ जीवन की गति संगति बैठाती है…