सौन्दर्य लहरी (छन्द संख्या 41-45)
सौन्दर्य लहरी आदि शंकर की अप्रतिम सर्जना का अन्यतम उदाहरण है। निर्गुण, निराकार अद्वैत ब्रह्म की आराधना करने वाले आचार्य ने शिव और शक्ति की सगुण रागात्मक लीला का विभोर गान किया है सौन्दर्य लहरी में। इस ब्लॉग पर अब…
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सौन्दर्य लहरी आदि शंकर की अप्रतिम सर्जना का अन्यतम उदाहरण है। निर्गुण, निराकार अद्वैत ब्रह्म की आराधना करने वाले आचार्य ने शिव और शक्ति की सगुण रागात्मक लीला का विभोर गान किया है सौन्दर्य लहरी में। इस ब्लॉग पर अब…
सौन्दर्य लहरी संस्कृत के स्तोत्र-साहित्य का गौरव-ग्रंथ व अनुपम काव्योपलब्धि है। आचार्य शंकर की चमत्कृत करने वाली मेधा का दूसरा आयाम है यह काव्य। निर्गुण, निराकार अद्वैत ब्रह्म की आराधना करने वाले आचार्य ने शिव और शक्ति की सगुण रागात्मक…
आचार्य शंकर की दिग्विजय का एक मर्मस्पर्शी कथा प्रसंग दृश्य प्रथम प्रत्यक्ष के लिए प्रमाण चाहते हो संन्यासी?” तांत्रिक अभिनव शास्त्री का क्रुद्ध स्वर शास्त्रार्थ सभा में गूँजा, तो उपस्थित पंडित वर्ग में छूट रही हल्की वार्ता की फुहारें भी…
सौन्दर्य लहरी का हिन्दी काव्यानुवाद स्मरं योनिं लक्ष्मीं त्रितयमिदमादौ तव मनो र्निधायैके नित्ये निरवधि महाभोग रसिकाः । भजंति त्वां चिंतामणि गुणनिबद्धाक्ष वलयाः शिवाग्नौ जुह्वंतः सुरभिघृत धाराहुति शतैं ॥३२॥ उक्त वर्णित मंत्रउसके तीन वर्ण प्रथम पृथक कर ’काम-योनि-श्री’ त्रयी को आदि में योजित…
सौन्दर्य लहरी का हिन्दी काव्यानुवाद सुधामप्यास्वाद्य प्रतिभय जरा मृत्यु हरिणीं विपद्यंते विश्वे विधि शतमखाद्या दिविषदः। करालं यत् क्ष्वेलं कबलितवतः कालकलना न शंभोस्तन्मूलं तव जननि ताटंक महिमा ॥२८॥ पीयूष का भी पान करजो जरा मृत्यु भयापहारीविधि सुराधिप देवगण भीत्याग करते प्राण…
सौन्दर्य लहरी का हिन्दी रूपांतर जगत्सूते धाता हरिरवति रुद्रः क्षपयतेतिरस्कुर्वन् एतत् स्वयमपि वपुरीशस्तिरयति ।सदा पूर्वः सर्वं तदिदमनुगृह्णाति च शिवस्तवाज्ञामालंब्य क्षणचलितयोः भ्रूलतिकयोः ॥२४॥ निमिष भर कीचलिततेरी नयन भ्रू का ले सहाराअखिल जगत प्रपंच कोहैं जन्म दे देते विधातापालते हैं विष्णु सक्षमरुद्र…
सौन्दर्य लहरी का हिन्दी भाव रूपांतर मुखं बिंदुं कृत्वा कुचयुगमधस्तस्य तदधोहरार्ध ध्यायेद्यो हरमहिषि ते मन्मथकलाम् ।स सद्यः संक्षोभं नयति वनिता इत्यति लघुत्रिलोकीमप्याशु भ्रमयति रवींदु स्तनयुगाम् ॥19॥ बिन्दु वदन युगल पयोधर बिन्दिकायें अधः संस्थित पुनः उसके अधःस्थित जो सुभग त्रिभुज त्रिकोणमय…
सौन्दर्य लहरी का हिन्दी भाव रूपांतर कवीन्द्राणां चेतःकमलवनबालातपरुचिंभजन्ते ये सन्तः कतिचिदरुणामेव भवतीम् ।विरिंचिप्रेयस्यास्तरुणतरश्रृंगारलहरी-गभीराभिर्वाग्भिर्विदधति सतां रंजनममी ॥16॥ कमल कानन सदृशकविवर चित्त किसलय पुट विकासिनितुम नवल रवि सदृशकोई हर्षदा अरुणिम विभा होंबाल दिनमणि सम तुम्हारी कान्ति काजो स्मरण करते, धन्य वे मतिमानउनकी…
सौन्दर्य लहरी का हिन्दी भाव रूपांतर त्वदीयं सौंदर्यं तुहिनगिरि कन्ये तुलयितुं ।कवींद्राः कल्पंते कथमपि विरिंचि प्रभृतयः ॥यदालोकौत्सुक्यादमरललना यांति मनसा ।तपोभिर्दुष्प्रापामपि गिरिशसायुज्यपदवीम् ॥१२॥ तुलित करने को तुम्हाराअपरिमित सौन्दर्य अनुपमविधातादि कवीन्द्रकिंचित कल्पनाओं में विचरतेसमुद अवलोकन तुम्हाराकर मनोगत वसुमती सेअमर ललनायें विलसतींसहज शिवसायुज्य…
सौन्दर्य लहरी का हिन्दी भाव रूपांतर क्वणत्कांची दामा करिकलभकुम्भस्तननता ।परिक्षीणा मध्ये परिणतशरच्चन्द्रवदना ॥धनुर्वाणान्पाशं सृणिमाप दधाना करतलैः ।पुरस्तादास्तां नः पुरमथितुराहोपुरुषिका ॥७॥ पुरविनाशन शंभु की पुरुषत्वप्रबोधिनीअति कृशा कटि प्रांत पर कल किंकिणी धारेबालगज के कुम्भ से उन्नत उरोजों का सम्हाले भारविनता मध्यभागाशरच्चन्द्रमुखासुशोभित…