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Ramyantar

कैसे ठहरेगा प्रेम जन्म-मृत्यु को लाँघ …

तुम आते थे मेरे हृदय की तलहटी में मेरे संवेदना के रहस्य-लोक में मैं निरखता था- मेरे हृदय की श्यामल भूमि पर वन्यपुष्प की तरह खिले थे तुम । तुम आते थे अपने पूरे प्रेमपूर्ण नयन लिये निश्छल दूब का…

Ramyantar

तुम्हें कौन प्यार करता है ?

हे प्रेम-विग्रह !एक द्वन्द्व है अन्तर्मन में,दूर न करोगे ? मेरी चेतना के प्रस्थान-बिन्दु परआकर विराजो, स्नेहसिक्त !कि अनमनेपन से निकलकर मैं जान सकूँ कि तुम्हें प्यार कौन करता है ? क्या वह जो अपने प्राणों की वेदी परप्रतिष्ठित करता…

Ramyantar

तुम कौन हो ? …

तुम कौन हो ?जिसने यौवन का विराट आकाशसमेट लिया है अपनी बाहों में,जिसने अपनी चितवन की प्रेरणा सेठहरा दिया है सांसारिक गति को तुम कौन हो ?जिसने सौभाग्य की कुंकुमी सजावटकर दी है मेरे माथे पर,जिसने मंत्रमुग्ध कर दिया है…

Ramyantar

मैं कैसे प्रेमाभिव्यक्ति की राह चलूँ .

तुम आयेविगत रात्रि के स्वप्नों में श्वांसों की मर्यादा के बंधन टूट गयेअन्तर में चांदनी उतर आयीजल उठी अवगुण्ठन में दीपक की लौविरह की निःश्वांस उच्छ्वास में बदल गयीप्रेम की पलकों की कोरों से झांक उठा सावनऔर तन के इन्द्रधनुषी…

General Articles, Stories

प्रेम पंथ ऐसो कठिन

प्रेम की अबूझ माधुरी निरन्तर प्रत्येक के अन्तस में बजती रहती है। अनेकों को विस्मित करती है, मुग्ध करती है और जाने अनजाने जीवन की उन ऊँचाइयों पर ले जाती है जिनसे जीवन अपनी अक्षुण्णता में विरलतम हो जाता है।…

Stories

प्रेम के चिह्न

प्रेम के चिह्न नामक इस कहानी ने भीतर तक प्रभावित किया मुझे, बहुत कुछ बदल भी दिया इसने मेरे जीवन में- जीवन शैली ही नहीं विचार भी बदले, और भाव/भावना का तो रुपांतरण ही हो गया। प्रेम की अनोखी छाप…

Capsule Poetry, Poetry, Ramyantar

प्यार और मुक्त हृदय

वह तुम्हारा मुक्त हृदय था जिसने मुझे प्यार का विश्वास दिया, मैं तुम्हें प्यार करने लगा। मैं तुम्हें प्यार करता था अपनी समस्त जड़ता से ऊपर उठकर और इसलिये ही तुम मुक्त हृदय थे।

Literary Classics, Stories

प्रेम का स्वाद तीखा होता है

प्रेम के अनेकानेक चित्र साहित्य में बहुविधि चित्रित हैं। इन चित्रों में सर्वाधिक उल्लेख्य प्रेम की असफलता के चित्र हैं। मनोवैज्ञानिक दृष्टि से प्रेम की असफलता एवं इस असफलता से उत्पन क्रिया-प्रतिक्रया पर काफी विचार किया जा सकता है, पर…

Poetry, Songs and Ghazals

मैं, मैं अब नहीं रहा (कविता)

मैं, मैं अब नहीं रहा, तुम ही तो हूँ। बहुत भटकता रहा खोजताअपने हृदय चिरंतन तुमकोजो हर क्षण आछन्न रहेओ साँसों के चिर बंधन तुमको,मैं जाग्रत अब नहीं रहा, गुम ही तो हूँ।मैं, मैं अब नहीं रहा, तुम ही तो…

Poetic Adaptation, Poetry

मैं सपनों का फेरीवाला (कविता)

मैं सपनों का फेरीवाला, मुझसे सपन खरीदोगे क्या? यह सपने जो चला बेचने, सब तेरे ही दिए हुए हैं,इन सपनों के चित्र तुम्हारी यादों से ही रंगे हुए हैं;मैं प्रिय-सुख ही चुनने वाला,मुझसे चयन खरीदोगे क्या? कहाँ कहाँ के चक्कर…