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Poetry

तुम्हीं मिलो, रंग दूँ तुमको, मन जाए मेरा फागुन

Man Jaye Mera FAgun

जग चाहे किसी महल में अपने वैभव पर इतराएया फिर कोई स्वयं सिद्ध बन अपनी अपनी गाएमौन खड़ी सुषमा निर्झर की बिखराये मादक रुन-झुनतुम्हीं मिलो, रंग दूँ तुमको, मन जाए मेरा फागुन।  यूँ तो ऋतु वसन्त में खग-कुल अनगिन राग…

Poetry

भारती तेरी जय हो (सरस्वती वंदना)

तेरी सुरभि वहन कर लायी शीतल मलय बयार,भारती तेरी जय हो!तेरी स्मृति झंकृत कर जाती उर वीणा के तारभारती तेरी जय हो! अरुणोदय में सुन हंसासिनी तव पदचाप विहंगथिरक थिरक गा रहा प्रभाती पुलकित सारा अंगतेरे स्वागत में खिल जाती…

Poetry, Ramyantar

दिया राहु लिख चन्द्रमा लिखते-लिखते

 Flowers (Photo credit: soul-nectar) कविता: प्रेम नारायण ’पंकिल’ जो बोया वही तो फसल काटनी है दिया लिख अमा पूर्णिमा लिखते-लिखते। पथिक पूर्व का था चला किन्तु पश्चिम दिया राहु लिख चन्द्रमा लिखते-लिखते। रहा रात का ही घटाटोप बाँधेन बाहर निकलकर…

Poetic Adaptation, Poetry, Ramyantar

जो प्रश्न हैं अस्तित्वगत…

जो प्रश्न हैं अस्तित्वगत तूं खींच चिन्तन बीच मत बस जी उसे उस बीच चल उससे स्वयं को दे बदल। यदि प्रेम को है जानना तो खाक उसकी छानना उस प्रेम के भीतर उतर निज पूर्ण कायाकल्प कर। जो प्रश्न…

Poetry, Ramyantar

पात-पात में हाथापायी बात-बात में झगड़ा

पात-पात में हाथापायी बात-बात में झगड़ा किस पत्थर पर पता नहीं मौसम ने एड़ी रगड़ा। गांव गिरे औंधे मुंह गलियां रोक न सकीं रुलाई ’माई-बाबू’ स्वर सुनने को तरस रही अंगनाई, अब अंधे के कंधे पर बैठता नहीं है लंगड़ा।…

Poetry, Songs and Ghazals

ले प्रसाद जय बोल ..

बजी पांचवी शंखकथा वाचक द्रुतगामी की।ले प्रसाद जय बोलसत्यनारायण स्वामी की। फलश्रुति बोले जब मन होचूरन हलवा बनवाओबांट-बांट खाओ पंचामृतमें प्रभु को नहलाओ,इससे गलती धुल जायेगीक्रोधी-कामी की। ले प्रसाद जय बोलसत्यनारायण स्वामी की। कलश नवग्रह गौरी गणपतिपर दक्षिणा चढ़ाओ।ठाकुर जी…

Poetry, Ramyantar

प्रार्थना मैं कर रहा हूं

प्रार्थना मैं कर रहा हूं गीत वह अव्यक्त-सा अनुभूतियों में घुल-मिले। हंसी के भीतर छुपा बेकल रुंआसापन और सम्पुट में अधर के बेबसी का क्षण, प्रार्थना मैं कर रहा हूं अश्रु जो ठहरा हुआ शुभ भाव ही के हित निकल…

Poetry, Ramyantar

बनारस की होली बनारस की बोली में

अब का पूछ्त हउआ हमसे कि होली का होला। कइसे तोंहके हाल बताई कवन तरीके से समझाई कइसन बखत रहल हऽ ऊ भी कवने भाषा में बतलाई, उछरत रहल बांस भर मनवां जमत रहल जब गोला। छैल चिकनियां छटकत रहलन…

Poetry, Ramyantar, Songs and Ghazals

अब तो चले जाना है

Marigold (Photo credit: soul-nectar) कहता है विरहित मन, कर ले तू कोटि जतन रुकना अब हाय नहीं, अब तो चले जाना है । छूटेंगे अखिल सरस, सुख के दिन यों पावस हास कहीं रूठेगा, बोलेगा बस-बस-बस दिन में अन्धेरा अब…

Poetry, Ramyantar, Songs and Ghazals

मेरी समझ नहीं कि ये कमाल कर सकूँ

हर शख्स अपने साथ मैं खुशहाल कर सकूँ मेरी समझ नहीं कि ये कमाल कर सकूँ। फैली हैं अब समाज में अनगिन बुराइयाँ है लालसा कि बद को मैं बेहाल कर सकूँ। फेकूँ निकाल हिय के अन्धकार द्वेष को कटुता…