Under The Cloak Of Darkness
(Photo credit: MarianOne)

आज फिर
एक चहकता हुआ दिन
गुमसुमायी सांझ में
परिवर्तित हो गया,
दिन का शोर
खामोशी में धुल गया,
रात दस्तक देने लगी।

हर रोज शायद यही होता है
फिर खास क्या है?

शायद यही, कि
मेरे बगल में
मर गया है मनुष्य – उसकी अन्त्येष्टि,
कुछ दूर लुट गयी लड़की- उसका सिसकना
और …. .अंधेरा।

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Last Update: September 20, 2025

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