दिन
गये, तो ठीक
न गये, रुके रहे
तो और भी ठीक।
रात
गयी, तो ठीक
न गयी, रुकी रही
तो………………।
सिद्धार्थ के गौतम बुद्ध बनने तक की घटना को आधार बनाकर रचित इन नाट्य प्रविष्टियों में विशिष्ट प्रभाव एवं अद्भुत आस्वाद है।
सिमटती हुई श्रद्धा एवं क्षीण होते सत्याचरण वाले इस समाज के लिए सत्य हरिश्चन्द्र का चरित्र-अवगाहन प्रासंगिक भी है और आवश्यक भी।
सिमटती हुई श्रद्धा एवं क्षीण होते सत्याचरण वाले इस समाज के लिए सत्य हरिश्चन्द्र का चरित्र-अवगाहन प्रासंगिक भी है और आवश्यक भी।
सौन्दर्य लहरी संस्कृत के स्तोत्र-साहित्य का गौरव-ग्रंथ व अनुपम काव्योपलब्धि है। इस ब्लॉग पर हिन्दी काव्यानुवाद सम्पूर्णतः प्रस्तुत है।
गुरुदेव टैगोर की विशिष्ट कृति गीतांजलि के गीतों का हिन्दी काव्य-भावानुवाद इस ब्लॉग पर प्रकाशित है। यह अनुवाद मूल रचना-सा आस्वाद देते हैं।
विभिन्न भाषाओं से हिन्दी में अनूदित रचनाओं को संकलित करने के साथ ही विशिष्ट संस्कृत एवं अंग्रेजी रचनाओं के हिन्दी अनुवाद भी प्रमुखतः प्रकाशित हैं।
दिन
गये, तो ठीक
न गये, रुके रहे
तो और भी ठीक।
रात
गयी, तो ठीक
न गयी, रुकी रही
तो………………।
Sachcha Sharanam is a part of Ramyantar Web Portal. It's nourished with poetry, literary articles, stories, plays and translated works.
सुंदर सजीली
भीषण विचारणीय..अद्भुत सोच!!
aaj to sirf taarif in shbdo ki kal jwaab apne blog par !!!!
तो भी ठीक, कम से कम उस रोज नींद तो पूरी हो जायेगी। बहुत सुन्दर बिल्कुल तुम्हारे इंटरव्यू जैसी
हूँ !
हाँ! बात तो ठीक है. और इरादे?
तो भी ठीक.. हम कहेगें उस रात की सुबह नहीं..:)
अच्छी पंक्तियां.
ख़ूबसूरत……..
gagar men sagar nahin chammach men sagar
अरे दिन चाहे ना जाये , लेकिन भाई इस अंधेरी रात को तो जरुर जाना चाहिये अगर यह ना गई तो …….
धन्यवद इस सुंदर रचना के लिये
दिलचस्प अंदाज …..
बहुत सुन्दर कविता, बधाई।