एक समय महाराष्ट्र में वर्षा न होने से भीषण जलकष्ट हुआ; पशु और मनुष्य दोनों ही त्रस्त…
पूर्व और पश्चिम की संधि पर खड़े युगपुरुष ! तुम सदैव भविष्योन्मुख हो, मनुष्यत्व की सार्थकता के…
कौतूहल एक धुआँ है उपजता है तुम्हारी दृष्टि से, मैं उसमें अपनी आँखे मुचमुचाता प्रति क्षण प्रवृत्त…
I came out alone on my way to my tryst. But who is this that follows me…
चारुहासिनी (मेरी भतीजी) की जिद है, इसलिये ये स्वागत-गीत यहाँ पोस्ट कर रहा हूँ । उसके स्कूल…
मैंने जो क्षण जी लिया है उसे पी लिया है , वही क्षण बार-बार पुकारते हैं मुझे…