एक समय महाराष्ट्र में वर्षा न होने से भीषण जलकष्ट हुआ; पशु और मनुष्य दोनों ही त्रस्त हो गये। तब सभी ने मिलकर वर्षा के लिये ईश्वर से प्रार्थना करने का निश्चय किया! एक निश्चित स्थान पर सभी एकत्र हुए। इतने में एक बालक छतरी लिये आया और वह भी सबके साथ प्रार्थना करने लगा। सभी लोगों के साथ उसे भी प्रार्थना पर विश्वास था। लोगों ने पूछा,
“यह छतरी क्यों लाये?”
तो उसने उत्तर दिया,
“जब आप सभी लोग ईश्वर के पास वर्षा के लिये प्रार्थना करने आये हैं तो मैं भी उसी आशा में चला आया- सामान्य लोग भी किसी वस्तु के माँगने पर हमें निराश नहीं करते तो फिर ईश्वर के यहाँ क्या कमी है? वर्षा आयेगी इसलिये उससे बचने के लिये छ्तरी ले आया।”
कई लोग तो इस पर उसका मजाक उड़ाने लगे। बालक को अपनी प्रार्थना पर विश्वास था, वह अपनी अटूट आस्था के साथ प्रार्थना-रत रहा। लोगों के लिए यह सब हास्यास्पद था, परन्तु बालक की श्रद्धा से प्रसन्न होकर प्रभु ने वर्षा भेजी। सब भींगने लगे, परन्तु बालक छतरी के नीचे सकुशल घर लौट आया।
(यह कहानी ‘भारती’ से साभार)
यह एक सचाई है कि आस्थावान दिखाई देने वालों में सच्चा कोई कोई होता है, वह भी बालक?
बालक की सोच उम्दा है जो सभी के लिए प्रार्थना कर रहा था .
कभी निराश नहीं होना चाहिए साथ ही इंतजाम भी पूरा रखना चाहिए। अक्षर बहुत छोटे लग रहे हैं।
yah bhii thik hi hai …..lekin puraanaavaalaa jyaadaa achhaa thaa !
ई का कर बैठे? पुरनका से हमें थोड़ी परेशानी होती थी – उपर का फूल लोड होने माँ समय लेत रहे लेकिन बाकी ठीके रहन।
अब ई ललरौटी के आगे 'बाइस्कोप' चला रहे हौ – का मजा पइहें एसे?
ब्लॉग तोहार हौ जौन मन करै सो करो लेकिन जल्दी निपटान करौ।
सुन्दर! जब विश्वास हो तभी चमत्कार होता है।
अगर मन में सच्ची आस हो तो मनोकामना जरुर पुर्ण होती है।
हिमांशु जी,
बहुत अच्छी और रोचक बोध कथा प्रकाशित की है।
शुभकामनायें।
हेमन्त कुमार
badhiya !!
Aur naya template bhi badhiya hai…
par mere templat ki tarah aapke main bhi ek (balki do bimaariyan hain)
ho sake to sudhaar kar lijiyega (main to nahi kar paaaya apne blg main)
1) post ka 'shirshak' Encrypted !!
2) comment dene wale ki photo !!
हे भगवान् ई टेम्पलेट टेम्पलेट क्या चल रहा है इन दिनों -हिमांशु ओं सबसे आपके पाठकों को कोई असुविधा नहीं होनी चाहिए कहे देता हूँ हाँ !
अरे टेमपलेट बहुत सुंदर है, बस थोडी महनत करने की जरुरत है, ओर कामेंट करने वालो की फ़ोटू, यह मुझे भ)ई बताना
रोचक बोध कथा …नए कलेवर की खामिया जल्दी दुरुस्त हो …शुभकामनायें ..!!
मखौल उडाना आसान है, अहम् से असली श्रद्दा न हो पाती है और न असली श्रद्धा वालो की पहचान ही कर पाते हैं, ऐसे लोगों को तो चमचे सुहाते है. उपरवाला, सर्वज्ञानी होने से हरकुछ समझता है, और उसी की लाठी, उसी का वरदान समय पर दृष्टिगत होता है, अज्ञानियों की आँखें खोलने के लिए.
छोटी सी कहानी से बहुत गहरा सन्देश दे गए आप, हिमांशु जी.
आशीष जी आपका भी हार्दिक आभार, जो आपने हमें हिमांशु जी की रचना से उनके ब्लाग की इस मुसीबत की घडी में भी रूबरू रहने का अवसर प्रदान किया.
चन्द्र मोहन गुप्त
जयपुर
http://www.cmgupta.blogspot.com
हिमांशु भाई आप भी टेम्प्लेट बदलते पकडे गए है 🙂
जहाँ विश्वास हो वही पर चमत्कार होती है ……..
ऐसी श्रद्धा आसान नहीं !
nice – Rajiv and Anand