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May 2012

नाटक, सत्य हरिश्चन्द्र

राजा हरिश्चन्द्र: नाटक (आठ)

सत्य हरिश्चन्द्र

पिछली प्रविष्टियों राजा हरिश्चन्द्र- एक, दो, तीन, चार, पाँच, छः और सात से आगे- छठाँ दृश्य (श्मसान का भयानक वातावरण। मरघट भूमि में चिताएँ जल रही हैं। राजा सतर्क दृष्टि से प्रत्येक नवागत शव को खोज-खोजकर कफन इकट्ठा कर रहे…

भोजपुरी, लोक साहित्य

हम तोंहसे कुल बतिया कहली: भोजपुरी कविता

हम तोंहसे कुल बतिया कहली सौ बार इहै मंठा महलीकुल गुर गोंइठा भइले पर तूँ दाँतै निपोर के का करबा?  समसै सिवान में खेत खेत के जोड़ रहल बा लगल डगर जइसे छरहरी पतुरिया के करिया कपार पर माँग सुघरभईया एक्कै…

नाटक, सत्य हरिश्चन्द्र

राजा हरिश्चन्द्र: नाटक (सात)

इस ब्लॉग पर करुणावतार बुद्ध नामक नाट्य-प्रविष्टियाँ मेरे प्रिय और प्रेरक चरित्रों के जीवन-कर्म आदि को आधार बनाकर लघु-नाटिकाएँ प्रस्तुत करने का प्रारंभिक प्रयास थीं। यद्यपि अभी भी अवसर बना तो बुद्ध के जीवन की अन्यान्य घटनाओं को समेटते हुए…

नाटक, सत्य हरिश्चन्द्र

राजा हरिश्चन्द्र: नाटक (छः)

नाट्य-प्रस्तुतियों के क्रम में अब प्रस्तुत है अनुकरणीय चरित्र राजा हरिश्चन्द्र पर लिखी प्रविष्टियाँ। सिमटती हुई श्रद्धा, पद-मर्दित विश्वास एवं क्षीण होते सत्याचरण वाले इस समाज के लिए सत्य हरिश्चन्द्र का चरित्र-अवगाहन प्रासंगिक भी है और आवश्यक भी। ऐसे चरित्र…

Ramyantar

तुम को क्या हो गया…

तुम को क्या हो गया आज तुम इतने व्याकुल हो मेरे मन व्यक्त कर सकेगी क्या वाणी उर के गहन सिन्धु का मंथन ॥ सरिजल के तरंग की गाथा पूछ पूछ हारा तट तरु से दिनमणि-किरण-दग्ध सिकता की व्यथा जाननी…

नाटक, सत्य हरिश्चन्द्र

राजा हरिश्चन्द्र: नाटक (पाँच)

सत्यवादी राजा हरिश्चन्द्र जैसे चरित्र दिग्भ्रमित मानवता के उत्थान का साक्षी बनकर, शाश्वत मूल्यों की थाती लेकर हमारे सम्मुख उपस्थित होते हैं और पुकार उठते हैं- असतो मां सद्गमय। प्रस्तुत है अनुकरणीय चरित्र राजा हरिश्चन्द्र पर लिखी प्रविष्टियाँ। पिछली प्रविष्टियों…

भोजपुरी, लोक साहित्य

भोजपुरी गीत: हमरे आँखी कै लोरवा

भोजपुरी गीत : प्रेम नारायण पंकिल टपकि जइहैं हो हमरे आँखी कै लोरवा । जेहि दिन अँगना के तुलसी सुखइहैं सजनि कै हथवा न मथवा दबइहैं कवनो सुहागिन कै फुटिहैं सिन्होरवा–टपकि जइहैं हो हमरे आँखी कै लोरवा ॥१॥ जहिया बिछुड़ि जइहैं मितवन…

नाटक, सत्य हरिश्चन्द्र

राजा हरिश्चन्द्र: नाटक (चार)

सच्चा शरणम् पर महात्मा बुद्ध के जीवन पर एक नाटक पूर्व में प्रकाशित किया गया है। महात्मा बुद्ध के साथ ही अन्य चरित्रों का सहज आकर्षण इन पर लिखी जाने वाली प्रविष्टियों  का हेतु बना और इन व्यक्तित्वों का चरित्र-उद्घाटन…