नाटक, सत्य हरिश्चन्द्र

राजा हरिश्चन्द्र: नाटक (एक)

King Harishchandra

इस ब्लॉग पर करुणावतार बुद्ध नामक नाट्य-प्रविष्टियाँ मेरे प्रिय और प्रेरक चरित्रों के जीवन-कर्म आदि को आधार बनाकर लघु नाटिकाएँ प्रस्तुत करने का प्रारंभिक प्रयास थीं। यद्यपि अभी भी अवसर बना तो बुद्ध के जीवन की अन्यान्य घटनाओं को समेटते…

Audio, भोजपुरी, लोक साहित्य, शैलबाला शतक

शैलबाला शतक: भोजपुरी स्तुति काव्य (पाँच)

प्रस्तुत हैं शैलबाला शतक के चार और कवित्त! करुणामयी जगत जननी के चरणों में प्रणत निवेदन हैं यह चार कवित्त! शतक में शुरुआत के आठ कवित्त काली के रौद्र रूप का साक्षात दृश्य उपस्थित करते हैं।  पिछली चार प्रविष्टियाँ सम्मुख…

Audio, भोजपुरी, लोक साहित्य, शैलबाला शतक

शैलबाला शतक: भोजपुरी स्तुति काव्य (चार)

शैलबाला शतक: भोजपुरी स्तुति काव्य के चार और कवित्त प्रस्तुत हैं! करुणामयी जगत जननी के चरणों में प्रणत निवेदन हैं कवित्त! शतक में शुरुआत के आठ कवित्त काली के रौद्र रूप का साक्षात दृश्य उपस्थित करते हैं। पिछली तीन प्रविष्टियाँ…

Poetic Adaptation, Ramyantar, Translated Works, सौन्दर्य-लहरी

सौन्दर्य लहरी (छन्द संख्या 32-35)

सौन्दर्य लहरी का हिन्दी काव्यानुवाद स्मरं योनिं लक्ष्मीं त्रितयमिदमादौ तव मनो र्निधायैके नित्ये निरवधि महाभोग रसिकाः । भजंति त्वां चिंतामणि गुणनिबद्धाक्ष वलयाः शिवाग्नौ जुह्वंतः सुरभिघृत धाराहुति शतैं ॥३२॥ उक्त वर्णित मंत्रउसके तीन वर्ण प्रथम पृथक कर ’काम-योनि-श्री’ त्रयी को आदि में योजित…

Poetic Adaptation, Ramyantar, Translated Works, सौन्दर्य-लहरी

सौन्दर्य लहरी (छन्द संख्या 28-31)

सौन्दर्य लहरी का हिन्दी काव्यानुवाद सुधामप्यास्वाद्य प्रतिभय जरा मृत्यु हरिणीं  विपद्यंते विश्वे विधि शतमखाद्या दिविषदः। करालं यत् क्ष्वेलं कबलितवतः कालकलना न शंभोस्तन्मूलं  तव जननि ताटंक महिमा ॥२८॥ पीयूष का भी पान करजो जरा मृत्यु भयापहारीविधि सुराधिप देवगण भीत्याग करते प्राण…

Poetic Adaptation, Ramyantar, Translated Works, सौन्दर्य-लहरी

सौन्दर्य लहरी (छन्द संख्या 24-27)

सौन्दर्य लहरी का हिन्दी रूपांतर जगत्सूते धाता हरिरवति रुद्रः क्षपयतेतिरस्कुर्वन् एतत् स्वयमपि वपुरीशस्तिरयति ।सदा पूर्वः सर्वं तदिदमनुगृह्णाति च शिवस्तवाज्ञामालंब्य क्षणचलितयोः भ्रूलतिकयोः ॥२४॥ निमिष भर कीचलिततेरी नयन भ्रू का ले सहाराअखिल जगत प्रपंच कोहैं जन्म दे देते विधातापालते हैं विष्णु सक्षमरुद्र…

Article | आलेख

गहगह वसंत

वसंत का चरण न्यास हुआ है। गज़ब है। आया तो आ ही गया। “फूली सरसों ने दिया रंग। मधु लेकर आ पहुँचा अनंग। वधु वसुधा पुलकित अंग-अंग….”। मतवाली कोयल की कूक से भरा, सिन्धुबार, कुन्द और सहकार से सुशोभित, गर्वीले…

प्रसंगवश

वैवाहिक सप्तपदी: वर वचन

वैवाहिक सप्तपदी: वर वचन हौं गृह-ग्राम रहौं जब लौं तब लौं ही तू साज सिंगार सजौगी।भाँतिन-भाँति के हास-विलास कुतूहल क्रीड़ा में राग रचौगी।पै न रहूँ घर तो न अभूषण पेन्होगी तूँ परधाम रहोगी।प्रानप्रिये ये करो प्रन तूँ हमरी पहली बतिया…

प्रसंगवश

वैवाहिक सप्तपदी: कन्या वचन

वैवाहिक सप्तपदी: कन्या-वचन देवनि देवि अनेकन पूजि कियो जग जीवन पुण्य घना। निज अर्चन वंदन पुण्य-प्रताप ते पायौ तुम्हें अब हौं सजना। तुम सौम्य सदा रहना जो गृहस्थ को जीवन हौ दुख-सुक्ख सना। तब बाम तुम्हारे बिराजुंगी मैं, सजना हमरी…

Poetic Adaptation, Ramyantar, Translated Works, सौन्दर्य-लहरी

सौन्दर्य लहरी (छन्द संख्या 19-23)

सौन्दर्य लहरी का हिन्दी भाव रूपांतर मुखं बिंदुं कृत्वा कुचयुगमधस्तस्य तदधोहरार्ध ध्यायेद्यो हरमहिषि ते मन्मथकलाम् ।स सद्यः संक्षोभं नयति वनिता इत्यति लघुत्रिलोकीमप्याशु भ्रमयति रवींदु स्तनयुगाम् ॥19॥ बिन्दु वदन युगल पयोधर बिन्दिकायें अधः संस्थित पुनः उसके अधःस्थित जो सुभग त्रिभुज त्रिकोणमय…