(१) “बहुत दूर नहीं बहुत पास “ कहकर तुमने बहका दिया मैं बहक गया । (२) “एक,दो,तीन…..नहीं शून्य मूल्य-सत्य है “ कहा फिर अंक छीन लिए मैं शून्य होकर विरम गया । (३) तुम हो जड़ों के भीतर, वृन्त पर…
मैंने अपने समय को पहचानने की कोशिश की। मुझे लगा समय समाज को अतिक्रमित नहीं करता- उसे व्यक्त करता है। मेरे अस्तित्व ने मेरे व्यक्तित्व को अनगिन मौकों पर इस समय और समाज से लड़ते देखा है। मैंने अपनी इस…
यह कविता तब लिखी थी जब हिन्दी कविता से तुंरत का परिचय हुआ था । स्नातक कक्षा की कविताओं को पढ़कर कवि बनने की इच्छा हुई – कविता लिख मारी। यह कैसा संवाद सखी ? प्रेम-विरह-कातर-मानस यह तेरी दरस सुधा…
महाराष्ट्र के शनिदेव (राज ठाकरे-Raj Thackeray की बात कर रहा हूँ) हमारे असली शनिदेव से ज्यादा खतरनाक हो गए लगते हैं। बिहारियों, उत्तर भारतीयों पर दृष्टि पड़ी कि वे संकट में पड़े। मामला बहुत कुछ क्षेत्रवाद आदि का नहीं, स्वभाव…
जब ध्वनि असीम होकर सम्मुख हो तो कान बंद कर लेना बुद्धिमानी नहीं जो ध्वनि का सत्य है वह असीम ही है । चलोगे तो पग ध्वनि भी निकलेगी अपनी पगध्वनि काल की निस्तब्धता में सुनो समय का शोर तुम्हारी…
I am a ghost. मैं भूत हूँ, ऐसा कहकर अब किसी को डराया नहीं जा सकता। भूत कल्पना का सत्य है । यथार्थ का सत्य ‘भूत’ नहीं ‘भभूत’ है। ‘भभूत’ कई बार भूत को भगाने का उपक्रम करती हुई मालूम…
तुम बैठे रहते हो मेरे पास और टकटकी लगाए देखते रहते हो मुझे, अपने अधर किसलय के एक निःशब्द संक्षिप्त कम्पन मात्र से मौन कर देते हो मुझे और अपने लघु कोमल स्पर्श मात्र से मेरा बाह्यांतर कर लेते हो…
Geetanjali: R.N.Tagore Light, Oh where is the light? kindle it with the burning fire of desire! There is the lamp but never a flicker of a flame, – is such thy fate, my heart ! Ah, death were better by…
छत पर झुक आयी तुम्हारी डालियों के बीच देखता कितने स्वप्न कितनी कोमल कल्पनाएँ तुम्हारे वातायनों से मुझ पर आकृष्ट हुआ करतीं, कितनी बार हुई थी वृष्टि और मैं तुम्हारे पास खड़ा भींगता रहा कितनी बार क्रुद्ध हुआ सूर्य और…
Virtue: George Herbert SWEET day, so cool, so calm, so bright! The bridal of the earth and sky– The dew shall weep thy fall to-night; For thou must die. Sweet rose, whose hue angry and brave Bids the rash gazer…