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Article | आलेख

सच्चा शरणम् ब्लॉग पर प्रकाशित सभी आलेख Article | आलेख श्रेणी के अन्तर्गत वर्गीकृत हैं। विभिन्न विषयों पर आधारित आलेख, रचनाकारों के परिचय एवं अवदान पर आधारित आलेख, रचनाओं की समीक्षा, ब्लॉग एवं ब्लॉगरी पर आधारित आलेख इत्यादि इस श्रेणी के अन्तर्गत उपश्रेणियों में वर्गीकृत हैं।

Ramyantar, Translated Articles, Translated Works

पुस्तक को असमय श्रद्धांजलि (The Premature Obituary of the Book)-5

साहित्य क्यों ? (Why Literature ?) : मारिओ वर्गास लोसा (Mario Vargas Llosa) प्रस्तुत है पेरू के प्रख्यात लेखक मारिओ वर्गास लोसा के एक महत्वपूर्ण, रोचक लेख का हिन्दी रूपान्तर । ‘लोसा’ साहित्य के लिए आम हो चली इस धारणा…

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पुस्तक को असमय श्रद्धांजलि: साहित्य क्यों?-4

पुस्तक को असमय श्रद्धांजलि: साहित्य क्यों? – मारिओ वर्गास लोसा साहित्य ने अपनी ग्राह्यता प्रेम इच्छाओं और काम-कलापों में भी स्वीकृत करा दी है। यह कलात्मक रचना का स्तर बनाये रखता है। साहित्य के बिना कामोद्दीपन रह ही नहीं सकता…

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पुस्तक को असमय श्रद्धांजलि (The Premature Obituary of the Book): 3

The Premature Obituary of the Book : Why Literature? जनसामान्य के उद्भव और उसके लक्ष्य के प्रति चेतना का सृजन करके तथा मानव जाति को परस्पर संवाद के लिए बाध्य करके साहित्य उसमें जो भाईचारा स्थापित करता है, वह सारे…

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पुस्तक को असमय श्रद्धांजलि (The Premature Obituary Of The Book): 2

पुस्तक को असमय श्रद्धांजलि: साहित्य क्यों? (Why Literature?) हम ज्ञान के विशिष्टीकरण के युग में रह रहे हैं। धन्यवाद देता हूँ और विज्ञान और तकनीक के आश्चर्यजनक और शक्तिशाली विकास को और परिणामस्वरुप अगणित खण्डों में ज्ञान के बँट जाने…

Ramyantar, Translated Articles, Translated Works

पुस्तक को असमय श्रद्धांजलि (The premature obituary of the book)

साहित्य क्यों? (Why Literature?): मारिओ वर्गास लोसा (Mario Vargas Llosa) पुस्तक मेलों या पुस्तक की दुकानों पर प्रायः ऐसा होता रहता है कि कोई सज्जन व्यक्ति मेरे पास आता है और मुझसे हस्ताक्षर की बात करता है, और कहता है,…

Article on Authors, भोजपुरी

रामजियावन दास बावला: भोजपुरी के तुलसीदास

रामजियावन दास बावला को पहली बार सुना था एक मंच पर गाते हुए! ठेठ भोजपुरी में रचा-पगा ठेठ व्यक्तित्व! सहजता तो जैसे निछावर हो गई थी इस सरल व्यक्तित्व पर! ’बावला’ भोजपुरी गीतों के शुद्ध देशज रूप के सिद्धहस्त गवैये…

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आया है प्रिय ऋतुराज …

“वसंत एक दूत है विराम जानता नहीं, संदेश प्राण के सुना गया किसे पता नहीं । पिकी पुकारती रही पुकारते धरा गगन, मगर कभी रुके नहीं वसंत के चपल चरण ।” वसंत प्रकृति का एक अनोखा उपहार है । आधी…

General Articles, भोजपुरी, लोक साहित्य

तेहिं तर ठाढ़ि हिरनियाँ : सोहर

अम्मा सोहर की पंक्तियाँ गुनगुना रही हैं – “छापक पेड़ छिउलिया कि पतवन गहवर हो…”। मन टहल रहा है अम्मा की स्वर-छाँह में। अनेकों बार अम्मा को गाते सुना है, कई बार अटका हूँ, भटका हूँ स्वर-वीथियों में। कितनों को…

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लंठ महाचर्चा : प्राणों के रस से सींचा पात्र बाउ (समापन किस्त)

एक आलसी का चिट्ठा । गिरिजेश राव का चिट्ठा। स्वनाम कृतघ्न आलसी का चिट्ठा। यहाँ पहुँचते ही होंगे अवाक! टिप्पणी को विचारेंगे, होंगे किंकर्तव्यविमूढ़। अगिया बैताली और स्थितप्रज्ञ- दोनों एक साथ। बिलकुल बाउ की तरह। बाउ, माने भईया का बनाया…

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लंठ महाचर्चा : प्राणों के रस से सींचा पात्र बाउ

एक आलसी का चिट्ठा। गिरिजेश भईया का चिट्ठा, स्वनाम कृतघ्न आलसी का चिट्ठा। यहाँ पहुँचते ही होंगे अवाक! टिप्पणी को विचारेंगे, होंगे किंकर्तव्यविमूढ़। अगिया बैताली और स्थितप्रज्ञ- दोनों एक साथ। बिलकुल बाउ की तरह। बाउ, माने भईया का बनाया एक…