एक दिया गीतों पर रख दो, एक दिया जँह सुधियाँ सोयीं एक दिया उस पथ पर रख…
कविता ने शुरुआत से ही खूब आकृष्ट किया । उत्सुक हृदय कविता का बहुत कुछ जानना समझना…
मैं सहजता की सुरीली बाँसुरी हूँ घनी दुश्वारियाँ हमको बजा लें । मैं अनोखी टीस हूँ अनुभूति…
उन दिनों जब दीवालों के आर-पार देख सकता था मैं अपनी सपनीली आँखों से, जब पौधों की…
कौतूहल एक धुआँ है उपजता है तुम्हारी दृष्टि से, मैं उसमें अपनी आँखे मुचमुचाता प्रति क्षण प्रवृत्त…
I came out alone on my way to my tryst. But who is this that follows me…