एक दिन ब्रह्मा मिल जाते
तो उनसे पूछता कुछ प्रश्न
और अपनी जिज्ञासा शांत करता
कि क्यों नहीं पहुंचती
उन तक किसी की चीख?
उनसे पूछता कि
जिसका तना मजेदार, खूब रसभरा है
फलदार क्यों नहीं हो गयी वह ईख ?
और जानता कि
जिसकी लकडियाँ बांटती हैं सुगंध चहुँओर
उस चंदन के वृक्ष में
क्यों नहीं दीखता कोई फूल ?
और समझता कि
जिसे चमकते देख
मुग्ध हो जाता है मन
उस स्वर्ण ने गमकना क्यों नहीं सीखा?
और जवाब मांगता उनसे कि
क्यों अल्पायु होते है सुधि-क्षण
और विद्वान को
क्यों नहीं मिलती भली-भीख?
एक दिन ब्रह्मा मिल जाते
तो उनसे पूछता यही कुछ प्रश्न।
एक का जबाब ब्रह्मा जी ने अभी अभी मेल किया है . कहते हैं : ईख को फल दे देता तो दूसरे फल वाले वृक्ष भी मीठे तने की माँग करने लगते .
कह रहे हैं एक बार में एक ही प्रश्न लाया करो भाई . सात अरब लोग हैं तुम अकेले नहीं हो . ज्यादा प्रश्न पूछने हों तो ट्यूशन लेना पडेगा 🙂
अच्छे हैं सवाल
पर हमसे ही पूछ सकते हो
ब्रह्मा जी का न तो कोई ब्लॉग है
और न वे कोई पोस्ट पढ़ते हैं
उनके पास डेस्कटाप, लैपटाप
अथवा मोबाइल भी नहीं है।
आप पूछेंगे बाद में
पहले वे ही पूछ लेंगे
कि तकनीकी ज्ञान हमें भी दो।
हिमांशु ऐसे ही एक शंका किसी पथिक को हुयी थी जो लता में तरबूज सा फल देख कर और बरगद के पेड़ में बहुत छोटा फल देख कर कुदरत की मूर्खता पर बिहंसा था मगर जब बरगद के नीचे सोते समय जब उसके सर पर बरगद का नहा सा फल गिरा और नीद उचट गयी तो प्रकृति के प्रयोजनों को समझने में उसे पल भर की देर नही लगी !
यही तो लीला है !
khayaal achha hai agar brahma ji mil jayen to hame bhi bata dena hame bhi kuchh poochhna hai
अगर मिल जाए तो मेरे भी कुछ सवाल हैं ..:) अच्छा लिखा आपने