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कविता

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हिन्दी साहित्य के उज्ज्वल नक्षत्र राष्ट्रकवि श्री मैथिली शरण गुप्त का जन्मदिवस है कल। प्रस्तुत है उनका…

हे प्रेम-विग्रह !एक द्वन्द्व है अन्तर्मन में,दूर न करोगे ? मेरी चेतना के प्रस्थान-बिन्दु परआकर विराजो, स्नेहसिक्त…

तुम आयेविगत रात्रि के स्वप्नों में श्वांसों की मर्यादा के बंधन टूट गयेअन्तर में चांदनी उतर आयीजल…