नज़र में भरकर नज़र कुछ सिमट जाना, भूलना मत।देखना होकर मगन फिर चौंक जाना, भूलना मत। मौज़…
जिन्दगी ज़हीन हो गयी मृत्यु अर्थहीन हो गयी । रूप बिंध गया अरूप-सा सृष्टि दृश्यहीन हो गयी…
मैं सहजता की सुरीली बाँसुरी हूँ घनी दुश्वारियाँ हमको बजा लें । मैं अनोखी टीस हूँ अनुभूति…
बस आँख भर निहारो मसलो नहीं सुमन कोसंगी बना न लेना बरसात के पवन को । वह…
उन्हें नब्ज अपनी थमा कर तो देखो दवा उनकी भी आजमा कर तो देखो । अभीं पीठ…
न गयी तेरी गरीबी तुम्हें माँगने न आया खूँटी पर उसके कपड़ा तुम्हें टाँगने न आया ।…