एक नदी अविरल गति से बहती जा रही थी इठलाती हुई, बलखाती हुई कुछ कहती जा रही…
विकल हूँ, पहचान लूँ मैं कौन-सी वह पीर है ! अभीं आया नहीं होता वसन्त तभीं उजाड़…
“बतलाओ माँ, बालमणि अम्मा मलयालम कविता की शीर्ष कवयित्री । प्रख्यात भारतीय अंग्रेजी साहित्यकार ’कमला दास’ की…
Photo Source : Google तुमने चुपके से मुझे बुलाया । पूजा की थाली लेकर साँझ सकारे हाथों…
मुझे मौन होना है तुम्हारे रूठने से नहीं, तुम्हारे मचलने से नहीं, अन्तर के कम्पनों से सात्विक…
’महाजनो येन गतः..’ वाला मार्ग भरी भीड़ वाला मार्ग है नहीं रुचता मुझे, जानता हूँ यह रीति-लीक-पिटवइयों…