

बोलो कैसे रह जाते हो तुम बिन बोले
बोलो कैसे रह जाते हो तुम बिन बोले
जब कोई प्रेमी द्वार तुम्हारे आकर तेरा हृदय टटोले।
जब भी कोई पथिक हांफता तेरे दरवाजे पर आ
तेरे हृदय शिखर पर अपनी प्रेम पताका फहराए,
जब भी आतुर हो क्षण-क्षण कोई विह्वल मन डोले-
बोलो कैसे रह जाते हो तुम बिन बोले ॥1॥
जब भी कोई तुम्हे समर्पित तुमको व्याकुल कर जाता है
तेरे मन की अखिल शान्ति में करुण वेदना भर जाता है ,
जब भी कोई हेतु तुम्हारे हो करुणार्द्र नयन भर रो ले-
बोलो कैसे रह जाते हो तुम बिन बोले ॥2॥
मैं तो बिना बोले नहीं रह पाया ..