When Thou Commandest Me to Sing is a profoundly spiritual and poetic song written by Rabindranath Tagore. This song reflects a deep sense of obedience, devotion, and the intertwining of spirituality with artistic expression.
Original Text of the Song
When thou commandest me to sing
it seems that my heart would break
with pride; and I look to thy face,
and tears come to my eyes.
All that is harsh and dissonant in
my life melts into one sweet harmony-
and my adoration spreads wings
like a glad bird on its flight across the sea.
I know thou takest pleasure in my
singing. I know that only as a
singer I come before thy presence.
I touch by the edge of the far spreading
wing of my song thy feet which I could
never aspire to reach.
Drunk with thy joy of singing I forget myself –
and call thee friend who art my Lord.
मिला है प्रियतम का आदेश रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा लिखित एक गहन आध्यात्मिक और काव्यात्मक गीत है। यह गीत आज्ञाकारिता, भक्ति, और आध्यात्मिकता के कलात्मक अभिव्यक्ति के साथ मेल के गहरे भाव को प्रतिबिंबित करता है।
Hindi Translation by Prem Narayan Pankil
मिला है प्रियतम का आदेश ।
गीत हमारा सुनने को इच्छुक मेरे प्राणेश॥
फूल गई छाती झंकृत हो उठे प्राण के तार
गौरव दान किया है तुमने हमको प्राणाधार
प्रभुमुख देख उमड़ आए आँसू आँखों के देश
मिला है प्रियतम का आदेश।।
सब कटुता रूक्षता प्राण की पिघल-पिघल तत्काल
एक मधुर लय में हो जाती रूपांतरित विशाल
हुआ तरंगित अन्तरंग में सरस राग सविशेष
मिला है प्रियतम का आदेश।।
भाव भरित प्रार्थना पखेरू अपने पंख पसार
गदगद हो उड़ चला बावरा मुदित सिन्धु के पार
अहह धन्य गायन से मेरे आनंदित हृदयेश
मिला है प्रियतम का आदेश।।
जान रहा हर्षित होते हो सुन मेरा संगीत
गायक बन ही हो सकता सम्मुख तेरे मनमीत
पा सकता दर्शन तेरा कर गायक का ही वेश
मिला है प्रियतम का आदेश।।
विस्तारित कर अपने मनहर गीत पंख के कोर
तेरे कंज चरण छू लूँगा हे मेरे चितचोर
अपर भांति यह रूचि न पूर्ण हो सकती थी कर क्लेश
मिला है प्रियतम का आदेश।।
सुरा-पान-सा मत्त कर रहा गायन का आनंद
भूल गया निज को गा-गा कर ईश विनय के छंद
स्वामि! सुहृद कह तुम्हे पुकारा बचा न कुछ भी शेष
मिला है प्रियतम का आदेश।।