Water dream
Water dream (Photo credit: @Doug88888)

मैं हुआ स्वप्न का दास मुझे सपने दिखला दो प्यारे।
बस सपनों की है आस मुझे सपने दिखला दो प्यारे॥

तुमसे मिलन स्वप्न ही था, था स्वप्न तुम्हारा आलिंगन
जब हृदय कंपा था देख तुम्हें, वह स्वप्नों का ही था कंपन,
मैं भूल गया था जग संसृति
बस प्रीति नियति थी, नियति प्रीति
मन में होता था रास, मुझे सपने दिखला दो प्यारे।

सपनों में ही व्यक्त तेरे सम्मुख था मेरा उर अधीर
वह सपना ही था फूट पडी थी जब मेरे अन्तर की पीर,
तब तेरा ही एक सम्बल था
इस आशा का अतुलित बल था
कि तुम हो मेरे पास , मुझे सपने दिखला दो प्यारे।

सोचा था होंगे सत्य स्वप्न, यह चिंतन भी अब स्वप्न हुआ
सपनों के मेरे विशद ग्रंथ में एक पृष्ठ और संलग्न हुआ,
मैं अब भी स्वप्न संजोता हूँ
इनमें ही हंसता रोता हूँ
सपने ही मेरी श्वांस, मुझे सपने दिखला दो प्यारे।