बंधन और मोक्ष कहीं आकाश से नहीं टपकते। वे हमारे स्वयं के ही सृजन हैं। देखता हूं जिन्दगी भी क्या रहस्य है। जब से जीवन मिला है आदमी को, तब से एक अज्ञात क्रियाशीलता उसे नचाये जा रही है। अभी क्षण भर का हास्य देखते-देखते विषाद के गहन अन्धकार में डूब जाता है। जहाँ वचन की विद्ग्धता और स्नेहसिक्त मधुमय वाणी का प्रवाह था वहीं अवसाद की विकट लीला प्रारंभ हो जाती है। हृदय में जहाँ उल्लास का सिंधु तरंगित होता था, वहीं पीड़ा और पश्चाताप का साम्राज्य स्थापित हो जाता है। भविष्य जिस प्रसन्नता की रंगभूमि बनने की पृष्ठभूमि रच रहा था, वही न जाने क्यों चुभन से भरा हुआ कंटकमय वर्तमान बन जाता है। इस अस्ति और नास्ति के खेल में जूझता व्यक्ति किस घाट का पानी पिये? गजब स्थिति हो गयी है-
“कुछ ऐसी लूट मची जीवन चौराहे पर खुद को ही खुद लूटने लगा हर सौदागर।”
तो कैसे मुक्ति हो इस अगति से?
खुद के सवाल में खुद ही जवाब हाजिर होता है हमारे सामने। ‘आशावाद परो भव’। आशावाद जिन्दगी का एक बड़ा ही सुहावना सम्बल है। अंधेरे में फ़ंस कर कीमती जिन्दगी को बर्बाद करना बड़ी मूर्खता है। अँधेरा एक रात का मेहमान होता है। फ़िर चमकता सवेरा हाजिर हो जाता है। पतझर के बाद बसंत आता ही है। इसलिये बसंत के पाँवों की आहट जरूर सुननी चाहिये। हमारा अधैर्य हमारी परेशानी है। निराशा का कुहासा फ़टेगा। सूर्य पीछे ही तो बैठा है-
A blogger since 2008. A teacher since 2010, A father since 2010. Reading, Writing poetry, Listening Music completes me. Internet makes me ready. Trying to learn graphics, animation and video making to serve my needs.
Subscribe this Blog
Enter your email and find latest writings on this blog in your inbox!
गणतन्त्र दिवस की शुभकामनाएँ। अच्छी आशावादी बातें लिखी हैं। सच में निराशा और आशा दोनों अपने आप को आग की तरह बढ़ाने की क्षमता रखती हैं। धन्यवाद। घुघूती बासूती
गणतन्त्र दिवस की शुभकामनाएँ।
अच्छी आशावादी बातें लिखी हैं। सच में निराशा और आशा दोनों अपने आप को आग की तरह बढ़ाने की क्षमता रखती हैं।
धन्यवाद।
घुघूती बासूती
आप को गणतंत्र दिवस की बहुत बहुत शुभकामनाएं !!
शानदार | आप को गणतंत्र दिवस की बहुत बहुत शुभकामनाएं !!
आशावाद जिन्दगी का एक बड़ा ही सुहावना सम्बल है- सत्य वचन!!
आपको एवं आपके परिवार को गणतंत्र दिवस पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.
सच है – बिना स्वप्नों के कौन आगे बढ़ सका है? आशायें स्वप्न के रूप में साथ देती हैं। मोटिव पावर होती हैं।
मुक्ति नहीं मोक्ष की सोचिये ! मुक्ति तो देर सबेर मिल ही जाती है !
किसी ने कुछ कह दिया क्या !