Photo: From Facebook-wall of Pawan Kumar |
खो ही जाऊं अगर कहीं
किसी की याद में
तो बुरा क्या है?
व्यर्थ ही भटकूंगा- राह में
व्यर्थ ही खोजूंगा- अर्थ को
व्यर्थ ही रोऊंगा- निराशा के लिये,
न पाऊंगा
प्रेम, दुलार और स्नेह का आमंत्रण,
फ़िर डूब जाने को प्रेम में
खो जाने को प्रीति में,
आनन्द के असीम आकाश में उड़ने को
क्यों न मैं खो जाऊं, किसी की याद में।
उस याद का हर रूप ही साकार है
उस याद की आवाज ही झंकार है,
यदि नहीं पाऊं उसे – जो सामने हो
या कि, जिसकी बात सुननी हो मुझे
मैं कहां फ़िर ढूढ़ता उसको फ़िरूं?
फ़िर वही एक रास्ता है याद आया
खो मैं जाऊं क्यों न उसकी याद में!
वह नहीं अच्छा
है उसकी याद ही अच्छी।
बहुत सही लिखा….
वह नहीं अच्छा
है उसकी याद ही अच्छी
अच्छी रचना….
वह नहीं अच्छा
है उसकी याद ही अच्छी ।
–बिल्कुल जी. बहुत सही.
रचना बहुत अच्छी है ! बधाई !
गणतंत्र दिवस की आप सभी को ढेर सारी शुभकामनाएं
http://mohanbaghola.blogspot.com/2009/01/blog-post.html
इस लिंक पर पढें गणतंत्र दिवस पर विशेष मेरे मन की बात नामक पोस्ट और मेरा उत्साहवर्धन करें
bahut sundar kavitaa
himanshu ji.
Beshak..Beshak
sahi kaha aapne..
Badhai…
“फ़िर वही एक रास्ता है याद आया
खो मैं जाऊं क्यों न उसकी याद में!”
सुंदर है !
व्यर्थ ही भटकूंगा – राह में
व्यर्थ ही खोजूंगा – अर्थ को
व्यर्थ ही रोऊंगा – निराशा के लिये,
न पाऊंगा
प्रेम, दुलार और स्नेह का आमंत्रण,
फ़िर डूब जाने को प्रेम में
खो जाने को प्रीति में,
आनन्द के असीम आकाश में उड़ने को
क्यों न मैं खो जाऊं, किसी की याद में।
bahut hi sundar shriman. Rachnaakar ki saphalta isi men hai ki pathak rachna ko padhkar manra mugdh ho jaye.aisa hi hua ,aap safal hue.
main mantramugdh hoon apki rachna se.
Dhanywad sahit badhaayee sweekar karen.
acchi lagi yah kavita,saral——–tagore ka mool english abhi dena sambhab nahi,baad me uplabdh karane ki koshish karunga