आज कुछ और नहीं, मेरे मित्र का मेरी ऑर्कुट स्क्रैपबुक में लिखा स्क्रैप पोस्ट कर रहा हूँ ।
एक गांव में एक स्त्री थी । उसके पती आई आई टी मे कार्यरत थे । वह अपने पति को पत्र लिखना चाहती थी पर अल्पशिक्षित होने के कारण उसे यह पता नहीं था कि पूर्णविराम कहां लगेगा । इसीलिये उसका जहां मन करता था वहीं पूर्णविराम लगा देती थी । उसने चिट्टी इस प्रकार लिखी —
“मेरे प्यारे जीवनसाथी, मेरा प्रणाम आपके चरणो मे । आप ने अभी तक चिट्टी नहीं लिखी मेरी सहेली को । नौकरी मिल गयी है हमारी गाय को । बछडा दिया है दादाजी ने । शराब की लत लगा ली है मैने । तुमको बहुत खत लिखे पर तुम नहीं आये कुत्ते के बच्चे । भेड़िया खा गया दो महीने का राशन । छुट्टी पर आते समय ले आना एक खूबसूरत औरत । मेरी सहेली बन गई है । और इस समय टीवी पर गाना गा रही है हमारी बकरी । बेच दी गयी है तुम्हारी मां । तुमको बहुत याद कर रही है एक पडोसन………”
bahut badhiyaa himanshu bhai, shaayad ye maine pehle bhee kahin padhaa tha, magar achha laga.
बहुत अच्छे………….पति पर क्या गुजरी होगी!!!!!!!!
बहुत सुन्दर. मजा आ गया.
विराम चिन्हों की परीक्षा लेने के लिए अच्छा गद्यांश है।
भाई इसे कहते है कि अनेक बार नादानी मे अर्थ का अनर्थ हो जाना.:)
रामराम.
मात्रा ओंकार पटीला नमू नाल गरहा इन मित्र काय हग द्यखँड !
धन्यवाद !
bhai himanshu ji majedaar chitthi hai. khoob likhi.
हे हिमांशु ये कूट सन्देश है नव विवाहिता का -गच्चा खा गए न बच्चू !
bahut badhiya ji . anand aa gaya . badhai.
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ha ha ha ha
वाह जी मजा आ गया पढ कर । इस प्रकार के लेख पहले भी पढ़े है लेकिन यहाँ बात ही कुछ और है ।