श्याम हसलैं बोललैं बइठ के नजदीक सखी
बड़ा लागै नीक सखी ना ॥
चमकै लिलरा जस अँजोरिया
दमकै बिजुरी अस दँतुरिया,
मोहे अधरन कि लाल लाल लीक सखी
बड़ा लागै नीक सखी ना ।
बड़री अँखिया कै पुतरिया
मुख पै लटके लट लटुरिया,
जइसे धाये मधु के लोभी चंचरीक सखी
बड़ा लागै नीक सखी ना ।
धइके दूनों मोर कलइया
लगलैं थिरकै सखि कन्हइया,
जइसे नाचैं बन के मोरवा ठीक ठीक सखी
बड़ा लागै नीक सखी ना ।
थामि अँचरा कै किनारा
कइलैं अँखिया से इशारा,
सेन्हुरा लेके चुपके मँगिया दिहलैं टीक सखी
बड़ा लागै नीक सखी ना ।
मुँहवाँ चूमि-चूमि आली
पंकिल ओठवा पै बनमा्ली,
रखलैं अधर नन्दनन्दन सटीक सखी
बड़ा लागै नीक सखी ना ।
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संबंधित प्रविष्टि :
0 बीतल जात सवनवाँ ना ..(कजरी 1)
अच्छी है !!
aap ke pitare se ek aur sanadar kajaree
सही है !
सुन्दर..
दोनों ही कजरी झुमा गयी…कहीं से आडियो भी उपलब्ध करा यें तो मजा आ जाये…अपनी ही आवाज में।
बहुत अच्छा और मनभावन गीत है
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ग़ज़लों के खिलते गुलाब
मन को लुभाने वाली
बढियां है हिमांशु भाई कम से कम इन कजरी गीतों से ही कोमल अहसास जाग जायं -नहीं तो सूखे ने तो मानो जान ही सुखा दी है
कजरी की अगली कड़ी अच्छी लगी । साधु साधु ।
बड़ा नीक लागी कजरी।