शिक्षक-दिवस पर प्रस्तुत कर रहा हूँ ’हेनरी एल० डेरोजिओ”(Henry L. Derozio) की कविता ’To The Pupils’ का भावानुवाद –
मैं निरख रहा हूँ
नव विकसनशील पुष्प-पंखुड़ियों-सा
सहज, सरल मंद विस्तार
तुम्हारी चेतना, तुम्हारे मस्तिष्क का,
और देख रहा हूँ शनैः शनैः
उस विचित्र जादुई सम्मोहन को टूटते हुए
जिसने बाँधे रखा था
तुम्हारी बौद्धिक उर्जा को, तुम्हारी सामर्थ्य को,
जादुई प्रभाव से मुक्त तुम्हारी चेतना
क्रमशः अभिव्यक्त कर रही है स्वयं को वैसे ही
जैसे कोई पक्षी-शिशु कोमल ग्रीष्म काल में
फैला रहा होता है अपने पंख
नापने के लिये उनकी सामर्थ्य ।
मैं साक्षी हूँ
तुम्हारे भीतर आकर लेते
ज्ञान के पहले प्रतिरूप का,
फिर क्रमशः घनीभूत होतीं
असंख्य धारणाओं-अवधारणाओं का –
जो निर्मित होती हैं परिस्थितियों की गति से,
स्फूर्ति लेती हैं समय की फुहारों से ।
फिर जो घटता है अनिवार्य
तुम्हारे अनुभव में
वह सत्य का स्वीकार होता है,
तुम औचक ही सत्य के पुजारी बन जाते हो ।
उस आनन्द का क्या कहूँ
जो भविष्य की उस कल्पना से उपजता है
जिसमें तुम यश के सहपथी बने
मुदित हो रहे होते हो और अनगिनत
पुष्प-हार सज रहे होते हैं तुम्हारी ग्रीवा में
तुम्हारे सम्मान में ।
और तब, बस तभी
मुझे लगता है, कि
मैंने व्यर्थ ही नहीं जिया है यह जीवन !
आप सभी को शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनायें ।
शिष्य को ज्ञान और बौद्धिकता के पायदान चढ़ते हुए देखना बहुत आह्लादकारी होता है …सहज स्नेह और वात्सल्य से मन को छूती कविता ..
एक बार फिर शिक्षक दिवस की बहुत शुभकामनायें ..!!
कौन कहता है कि शुद्ध हिन्दी कठिन होती है ! मैंने मूल नहीं पढ़ा लेकिन अनुमान लगा रहा हूँ कि अनुवाद ने उसकी भावना के साथ पूरा न्याय किया है। मूल का लिंक क्यों नहीं दे देते।
शिक्षक दिवस पर समस्त गुरुजनों को सादर प्रणिपात।
हमारा होना इसलिए है कि आप लोग थे।
अपने शिष्यों को ज्ञान और सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ते देखना ही शिक्षक के श्रम का प्रतिफल है।
बहुत खूब लिखा है.. आपको शिक्षक दिवस की शुभकामनाएं.. हैपी ब्लॉगिंग
बहुत खूब लिखा है.. आपको शिक्षक दिवस की शुभकामनाएं.. हैपी ब्लॉगिंग
आपके लिखे पर कुछ कहने की सामर्थ्य मेरी लेखनी की तो नहीं है
मुझे लगता है, कि
मैंने व्यर्थ ही नहीं जिया है यह जीवन !
मगर मुझे भी लगता है आपकी पोस्ट पढना व्यर्थ नहीं गया। शिक्षक दिवस पर स्hषकामनायें आभार्
आपको शिक्षक दिवस की शुभकामनाएं..
ओर इस सुंदर लेख ओर अनुवाद के लिये आप का धन्यवाद
बहुत सुन्दर प्रस्तुति
शिक्षक दिवस की शुभकामनायें मास्साब !
समस्त गुरुओ को नमन.शिक्षक दिवस की शुभकामनायें…
nice
बहुत पवित्र पद होता है एक शिक्षक का। बाजारीय अर्थशास्त्र के परे की चीज!
SUNDAR RACHNA HAI ……….
उस आनन्द का क्या कहूँ
जो भविष्य की उस कल्पना से उपजता है
जिसमें तुम यश के सहपथी बने
मुदित हो रहे होते हो और अनगिनत
पुष्प-हार सज रहे होते हैं तुम्हारी ग्रीवा में
तुम्हारे सम्मान में ।
किसी भी गुरु से कोई पूछे कि उनके जीवन में सबसे सुखद अनुभूति कब कब हुई है …..
तो इसका उत्तर उनके पास एक ही होगा जब-जब उनके शिष्य सफलता के सोपान तक पहुंचे हैं
आपने इस कविता में गुरु के मनोभावों को उकेर कर रख दिया.
बधाई