अपने नाटक ’करुणावतार बुद्ध’ की अगली कड़ी जानबूझ कर प्रस्तुत नहीं कर रहा । कारण, ब्लॉग-जगत का…
करुणावतार बुद्ध सारथी: भूपाल! नगरी तो ऐसी सजी-सँवरी थी, जैसे अमरावती ही वहाँ उतर आयी हो। सुन्दरियाँ…
करुणावतार बुद्ध: (द्वितीय दृश्य ) (सारथी प्रवेश करता है । प्रणाम की मुद्रा में सिर झुकाकर राजा…
करुणावतार बुद्ध (प्रथम दृश्य ) (प्रातःकाल की बेला। महल में राजा और रानी चिन्तित मुद्रा में।) …
कल की ना-ना तुम्हारी – मन सिहर गया, चित्त अस्थिर आगत के भय की धारणायें, कहीं उल्लास…
“मुक्तिबोध की हर कविता एक आईना है- गोल, तिरछा, चौकोर, लम्बा आईना। उसमें चेहरा या चेहरे देखे…