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February 2010

Ramyantar

फाग-छंद ( संकलित ) – 2

बिहारी  फाग-रंग चढ़ गया है इन दिनों सब पर ! नदा कर चुप बैठा हूँ, ये ओरहन सुनना ठीक नहीं । अपना कौन-सा रंग है ख़ालिस कि रंगूँ उससे ! सो परिपाटी का रंग चढ़ा रहा हूँ । मेरा उद्यम…

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फाग-छंद ( संकलित ) – 1

घनानंद (राग केदारौ)  फाग-रंग चढ़ गया है इन दिनों सब पर ! नदा कर चुप बैठा हूँ, ये ओरहन सुनना ठीक नहीं । अपना कौन-सा रंग है ख़ालिस कि रंगूँ उससे ! सो परिपाटी का रंग चढ़ा रहा हूँ ।…

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पिया संग खेलब होरी…

सखि ऊ दिन अब कब अइहैं, पिया संग खेलब होरी । बिसरत नाहिं सखी मन बसिया केसर घोरि कमोरी । हेरि हिये मारी पिचकारी मली कपोलन रोरी । पीत मुख अरुन भयो री – पिया संग खेलब होरी । अलक…

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तुम क्यों उड़ जाते काग नहीं !

तुम क्यों उड़ जाते काग नहीं ! व्याकुल चारा बाँटते प्रकट क्यों कर पाते अनुराग नहीं । दायें बायें गरदन मरोड़ते गदगद पंजा चाट रहे क्या मुझे समझते वीत-राग फागुन की बायन बाँट रहे, हे श्याम बिहँग, इस कवि-मन की…

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तुमने चुपके से मुझे बुलाया ..

Photo Source : Google तुमने चुपके से मुझे बुलाया । पूजा की थाली लेकर साँझ सकारे हाथों में, तुम चली बिखर गयी अरुणाभा दीपक में चली हवा साड़ी सरकी ’सर’ से  सर से दीपक भकुआया कँपती लौ ने संदेश पठाया…

Literary Classics, Poetic Adaptation, Ramyantar, Translated Works

मुझे प्रेम करने दो केवल मुझे प्रेम करने दो ..

जॉन डन (John Donne) की कविता ’द कैनोनाइजेशन’ (The Canonization) का भावानुवाद परमेश्वर के लिये मौन अपनी रसना रहने दो मुझे प्रेम करने दो केवल मुझे प्रेम करने दो । लकवा गठिया-सी मेरी गति को चाहे धिक्कारो या मेरा खल्वाट…

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मुझे मौन होना है

मुझे मौन होना है  तुम्हारे रूठने से नहीं, तुम्हारे मचलने से नहीं, अन्तर के कम्पनों से सात्विक अनुराग के स्पन्दनों से । मेरा यह मौन  तुम्हारी पुण्यशाली वाक्-ज्योत्सना को  पीने का उपक्रम है, स्वयं को अनन्त जीवन के भव्य प्रकाश…

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फागुन मतवारो यह ऐसो परपंच रच्यौ..

आचारज जी का आह्वान सुन लपके ही थे कि तिमिरान्ध हो गये (यूँ फगुनान्ध होने को बुलाये गये थे)। बिजली फिर ब्रॉडबैण्ड- दोनों ही रूठ गये। उस वक्त जो लिखा था, पोस्ट नहीं कर पाया। यह कवित्त प्रस्तुत है, कारण…