जीवन में ऐसे क्षण अपनी आवृत्ति करने में नहीं चूकते जब जीवन का केन्द्रापसारी बल केन्द्राभिगामी होने…
इसी ब्लॉग पर मेरी इस प्रविष्टि में मैंने और चारुहासिनी ने एक गीत सखिया आवा उड़ि चलीं…
रामजियावन दास बावला को पहली बार सुना था एक मंच पर गाते हुए! ठेठ भोजपुरी में रचा-पगा…
मृत्यु ! शलभ श्रीराम सिंह जन्म : 05-01-1938 मृत्यु : 22-04-2000 जन्म स्थान : मसोदा, जलालपुर, फैजाबाद…
यूँ ही टहलते हुए नेट पर यहाँ पहुँच गया, शहनाई उस्ताद बिस्मिल्लाह खान और सितार के धुरंधर…
मेरी अपनी एक ज़िद है रहने की, कहने की और उस ज़िद का एक फलसफ़ा । यूँ…