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कैसे ठहरेगा प्रेम जन्म-मृत्यु को लाँघ …

Himanshu Pandey By Himanshu Pandey

तुम आते थे मेरे हृदय की तलहटी में मेरे संवेदना के रहस्य-लोक में मैं निरखता था- मेरे हृदय की श्यामल…

सीताकान्त महापात्र : समय और शब्द के कवि

Himanshu Pandey By Himanshu Pandey

यथार्थ और अनुभूति के विरल सम्मिश्रण से निर्मित कविता के कवि डॉ० सीताकांत महापात्र का जन्मदिवस है आज। हिन्दी जगत…

हिन्दी दिवस पर क्वचिदन्यतोऽपि

Himanshu Pandey By Himanshu Pandey

हिन्दी दिवस की शुभकामनाओं सहित क्वचिदन्यतोऽपि पर की गयी टिप्पणी प्रसंगात यहाँ प्रस्तुत कर दे रहा हूँ। हिन्दी दिवस के…

बचपन, यौवन, वृद्धपन (कविता)

Himanshu Pandey By Himanshu Pandey

बचपन! तुम औत्सुक्य की अविराम यात्रा हो, पहचानते हो, ढूढ़ते हो रंग-बिरंगापन क्योंकि सब कुछ नया लगता है तुम्हें। यौवन!…